आदर्श शिक्षा नीति से समाज में परिवर्तन लाना होगा संभव
लाइव खगड़िया : शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, उत्तर बिहार प्रांत का प्रांतीय अभ्यास वर्ग रविवार को राजमाता माधुरी देवी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में आयोजित किया गया. कार्यक्रम में भारतीय शिक्षा पद्धति और भारतीय ज्ञान परंपरा के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी गई. अभ्यास वर्ग में मुख्य अतिथि के रूप में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सह सचिव डॉ ए विनोद भी उपस्थित थे.
अभ्यास वर्ग का उद्घाटन न्यास के राष्ट्रीय सह सचिव डॉ ए विनोद, राष्ट्रीय भाषा मंच के डॉ राजेश्वर कुमार, नर्सिंग कॉलेज के निदेशक विवेकानंद और डीएसपी प्रभात रंजन ने संयुक्त रूप से किया. वहीं प्रथम सत्र में कार्यक्रम का विषय प्रवेश न्यास के प्रांत संयोजक डा. दयानंद मेहता कराया. जबकि डॉ राजेश्वर कुमार ने न्यास के विकास यात्रा पर प्रकाश डाला. वहीं राष्ट्रीय सह सचिव डॉ ए विनोद ने न्यास की कार्य पद्धति और कार्यशैली पर चर्चा करते हुए कहा कि समाज में परिवर्तन लाना होगा और आदर्श शिक्षा नीति से यह परिवर्तन संभव होगा. साथ ही उन्होंने परिवर्तन के साथ-साथ व्यक्तित्व निर्माण पर बल देते हुए कहा कि शिक्षा ही एक मात्र मध्यम है. बिहार की धरती वैभावशाली रही है और यह चंद्रगुप्त, चाणक्य की धरती है. जिससे सीख लेते हुए हमें बिहार को पूरे भारत में मॉडल के रूप में प्रस्तुत करना होगा.
इस अवसर पर राष्ट्रीय भाषा मंच के सह संयोजक डॉ राजेश्वर कुमार ने कहा कि शिक्षा में भारतीयता का समावेश होना चाहिए. मैकाले की शिक्षा पद्धति से हम औपनिवेशिक मानसिकता के अधीन होते चले गए. शिक्षा में एक विकल्प को लेकर 2007 में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास को एक सांगठनिक रूप दिया गया. मैकाले की शिक्षा नीति चरित्र की बात नहीं करती, जबकि हमें चरित्र की शिक्षा की भी आवश्यकता है. समस्या उत्पन्न ही न हो, ऐसी शिक्षा पद्धति चाहिए. भारतीय भाषाओं के संवर्धन के लिए शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का गठन किया गया है. न्यास के प्रयास से अब कई न्यायालय भी अपने फैसले भारतीय भाषाओं में देने लगे हैं. शिक्षा में स्वावलंबन को लेकर न्यास कार्य कर रहा है.
वहीं डीएसपी प्रभात रंजन ने कहा कि आप समाज के काम आएं तो आपका, परिवार और देश का भला होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि कभी भी अपने मन में अहंकार नहीं पालें. मौके पर डॉ विवेकानंद ने कहा कि आज का कार्यक्रम विद्वतजनों का महाकुंभ है. शिक्षा और शिक्षक को हमेशा संस्कृति और अध्यात्म से जुड़े होना चाहिए. कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन ई धर्मेंद्र ने किया.