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शक्ति की भक्ति में लीन हुए श्रद्धालु, महाआरती में दिखी श्रद्धा



लाइव खगड़िया (मनीष कुमार) : जिले के सदर प्रखंड के सन्हौली स्थित प्रसिद्ध मां दुर्गा का मंदिर श्रद्धालुओं के आस्था व विश्वास का एक अटूट केन्द्र बन गया है. बताया जाता है कि यहां मां के कई रूपों की झलक दिखती है. साथ ही सिद्धपीठ के रूप में चर्चित इस मंदिर की पौराणिक प्रतिमा में सरस्वती के रूप में आकृति प्रकट होने की घटना को विस्मयकारी माना जाता है. शायद यही कारण रहा है कि दिन प्रतिदिन इस मंदिर की महिमा में निरंतर वृद्धि होती रही है. इस बीच नवरात्रा के दौरान मंगलवार को संध्या आरती के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमर पड़ी. इस दौरान मां की आरती के लिए सैकड़ों श्रद्धालुओं के हाथ जब एक साथ उठे तो नजारा भक्तिमय हो गया. हलांकि इस मंदिर में मां की पूजा-अर्चना के लिए अहले सुबह से श्रद्धालु पहुंचने लगते हैं और यह सिलसिला दिन भर चलता रहता है. जबकि संध्या महाआरती भक्ति की अनुपम छटा बिखेर जाती है. 

 125 वर्ष से अधिक पुरानी है मंदिर की प्रतिमा

बताया जाता है कि सन्हौली दुर्गा मंदिर में स्थापित मां की प्रतिमा बरौनी-कटिहार रेल खंड के निर्माणकाल में कोशी व बूढी गंडक से मिलती धारा को पाटने के क्रम में मिली थी. कहा जाता है कि यह मूर्ति लगभग 125 वर्ष से अधिक पुरानी है. बताया जाता है कि उन दिनों जमींदार महेन्द्र नारायण सिंह व हरि प्रसाद सिंह के कुल पुरोहित पंडित गोपीनाथ ठाकुर हुआ करते थे. पंडित ठाकुर ने ही यजमान महेन्द्र नारायण सिंह के सहयोग से जिला मुख्यालय को जोड़ती हाजीपुर मौजा एवं सन्हौली मौजा की सीमा पर भगवती की प्रतिमा को प्राण-प्रतिष्ठा के साथ स्थापित किया था. शुरूआत के ईट-खपरैल के गहबर को कालांतर में सुर्खी-चूना से जोड़ कर मंदिर का निर्माण किया गया था. जो आज भव्य रूप ले चुका है. वर्तमान में यह मंदिर श्री दुर्गा स्थान ट्रस्ट के द्वारा संचालित किया रहा है.

पौराणिक प्रतिमा में सरस्वती का रूप उभरना विस्मयकारी

मंदिर समिति केे सदस्यों के अनुसार यहां मां के कई रूपों की झलक दिखती है. सिद्धपीठ के रूप में चर्चित इस मंदिर की पौराणिक प्रतिमा में सरस्वती के रूप में आकृति प्रकट होने की घटना को विस्मयकारी बताया जाता है. जिसे धार्मिक शोध का एक विषय भी माना जाता है.


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