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परबत्ता विधायक डॉ संजीव की माता को श्रद्धांजलि देने नयागांव पहुंचे मुख्यमंत्री

लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : बिहार सरकार के पूर्व मंत्री रामानंद प्रसाद सिंह की धर्मपत्नी एवं परबत्ता के विधायक डॉ संजीव कुमार की माता बिंदु सिंह के निधन पर शोकाकुल परिवार को सांत्वना देने के लिए विभिन्न राजनीति दल के नेता, मंत्री  एवं प्रशासनिक अधिकारियों का आने का सिलसिला जारी है. मृतक के आत्मा की शांति हेतु विधायक के पैतृक गांव नयागांव सतखुट्टी स्थित चर्चित स्वर्ण देवी दुर्गा मंदिर के प्रांगण में श्राद्ध कर्म व श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी, जल संसाधन मंत्री संजय झा, पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी, जदयू के कोषाध्यक्ष ललन सर्राफ, भागलपुर प्रमंडल आयुक्त प्रेम सिंह मीणा आदि गणमान्य लोग पहुंचकर दिवंगत बिंदु सिंह के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित किया. मुख्यमंत्री ने  स्वर्ण देवी दुर्गा मंदिर में भी माथा टेका. 

श्रद्धांजलि सभा में मुख्यमंत्री को शामिल होने के लिए श्रीकृष्ण इंटर विद्यालय नयागांव में हेलीपैड का निर्माण किया गया था. हवाई मार्ग से मुख्यमंत्री मंत्री नीतीश कुमार श्रीकृष्ण इंटर विद्यालय नयागांव पहुंचे. सीएम के अगुवाई में परबत्ता विधायक डॉ संजीव कुमार मौजूद रहे. उसके बाद वे वाहन से स्वर्ण देवी दुर्गा मंदिर नयागांव सतखुट्टी में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में शामिल हुए. वहीं शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी सड़क मार्ग से श्रद्धांजलि सभा में पहुंचे थे. मौके पर जिलाधिकारी आलोक रंजन घोष, पुलिस अधीक्षक अमितेश कुमार, अनुमंडल डीएसपी मनोज कुमार, एसडीओ सुभाषचन्द्र मंडल, बीडीओ अखिलेश कुमार, सीओ अंशु प्रसून, थाना अध्यक्ष संजय कुमार विश्वास आदि मौजूद थे. हेलीपैड के आस पास सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस बल के साथ स्कवॉड डॉग मौजूद थै.

मुख्यमंत्री मंत्री नीतीश कुमार के आगमन की खबर पर श्रीकृष्ण इंटर विद्यालय नयागांव के मैदान में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. उल्लेखनीय है कि बिहार सरकार के पूर्व मंत्री रामानंद प्रसाद सिंह की धर्मपत्नी  एवं परबत्ता के विधायक डॉ संजीव कुमार की माता बिंदु सिंह का निधन पटना के एक निजी अस्पताल में 25 अगस्त को हो गया था. उनके पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन के लिए परबत्ता स्थित पैतृक गांव सतखुट्टी नयागांव लाया गया था.  26 अगस्त को पैतृक आवास नयागांव सतखुट्टी से अगुवानी गंगा घाट तक अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए थे.

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