लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : जिले के परबत्ता प्रखंड के कुल्हड़िया स्थित सार्वजनिक गोहन दास त्रिवेणी पुस्तकालय का कला मंच नाट्य कला परिषद 1942 से गांव की संस्कृतिक विरासत को आगे ले जा रहा है. साथ ही मंच अनुशासन, सोहार्द के साथ देश भक्ति का मिसाल कायम कर रहा है. परिषद नाटकों का मंचन कर प्राचीन संस्कृति के प्रति प्रेम जगाने, मानवीय मूल्यों के प्रति आस्था बनाए रखने तथा पश्चिम के गलत प्रभाव से समाज का प्रयास कर रहा है.
1942 ई में स्व० डॉ तारणी प्रसाद के निर्देशन में राजा हरिश्चंद्र नाटक का मंचन किया गया था. फिर 26 जनवरी 1950 को कुल्हडिया के बुद्धिजीवियों ने राष्ट्रीय पर्व के अवसर पर दो दिनों का नाटक का मंचन कार्य “अशोक सम्राट” के द्वारा शुरू किया गया. जिसके उपरांत प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को देश भक्ति या फिर ऐतिहासिक नाटक एवं 27 जनवरी को सामाजिक नाटक का मंचन होता आ रहा है. नाटक मंचन में हिंदू- मुस्लिम समाज के सभी उम्र के व्यक्ति भाग लेते हैं और अनुशासन का भी ख्याल रखा जाता है. वहीं बेहतर अभिनय पर कला मंच की तरफ से पुरस्कृत भी किया जाता हैं.
कुल्हड़िया निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक झाड़ी लाल साह बताते हैं कि कुल्हडिया का नाट्य कला मंच इलाके में साल में दो दिन उत्सव के लिए जाना जाता हैं. जिसकी शुरूआत स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय कुंज बिहारी तिवारी ने किया था. वहीं वे कहते हैं कि बदलते परिवेश में परंपरा तो निभाई जा रही है, लेकिन मंच की खासियत का निर्वाह नहीं हो पा रहा है. ग्रामीण स्तर पर मनोरंजन का साधन नाटक मंचन कई मायने में अलग हैं. इस मंच के कलाकार स्व. रामस्वरूप शर्मा, स्व. रघुनंदन महंत, स्व. नागेश्वर शर्मा, स्व. जगदेव प्रसाद तिवारी, जागेश्वर शर्मा, स्व. नारायण मिस्त्री, स्व. माधुरी मंडल आदि ने हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध नाटककार के नाटकों का मंचन किया. पांच दशक पूर्व तक प्रखंड स्तर पर आयोजित नाटक प्रतियोगिता में इस कला मंच ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है. त्रिपाल पर बैठकर खुले मंच पर अभिनय करना आज भी पुराने लोगों के जेहन में हैं.
जबकि मंचन नाट्य कला मंच के पूर्व निदेशक सह शिक्षक प्रफुल्ल कुमार तिवारी, वर्तमान निर्देशक श्रीधर सहनी आदि मंच के द्वारा पूर्व के यादगार प्रस्तुति की चर्चा करते हुए बताया कि इस वर्ष 26 जनवरी को ‘तिरंगा खतरे में’ एवं 27 को ‘डोली की कीमत’ नाटक प्रस्तुत किया जाएगा. जिसकी तैयारी जोरों पर है.