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पांच दशक के खूनी संघर्ष में गई है दर्जनों जानें,अपने ही अपनों से खेली खून की होली




लाइव खगडिया (मुकेश कुमार मिश्र) : जिले के परबत्ता प्रखंड के डुमरिया खुर्द गांव में गुरूवार की देर रात्रि अपनों ने ही अपने एक परिजन की गोली मारकर मौत की नींद सुला दिया. इस खूनी वारदात से डुमरिया खुर्द में एक फिर खूनी महासंग्राम की आहट सुनाई देने लगी है. बताया जाता है कि इस गांव में विगत पांच दशकों में दो दर्जन से अधिक लोगो की हत्या आपसी रंजिश में हो चुकी है. जिसमें एक परिवार का नरसंहार एवं केंद्रीय पुलिस के जवान व स्वतंत्रता सेनानी की हत्या भी शामिल है. कहा जा रहा है कि इन हत्याओं के पीछे महज छोटी-मोटी परिवारिक आपसी विवाद ही रहा है.




वर्ष 2007 में इस खूनी संघर्ष पर विराम लगा था और और ग्रामीणो ने राहत की सांस ली थी. बताया जाता है कि इस संघर्ष पर विराम लगाने में युवाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी और गांव में आपसी सद्भाव व शांति का फूल खिल उठा था. लेकिन गुरूवार की घटना एक बार फिर इस गांव को झकझोड़ गया और लोगों के मन में कई तरह की आशंकाए जन्म लेने लगे है. एक तरफ जहां जिला सहित देश कोरोना के संकट से उबरने में लगा है और लॉकडाउन की स्थिति है. इस माहौल में मृतक के परिजनों पर दुखों का एक नया पहाड़ टूट पड़ा है. घटना के बाद से ही मृतक रूपेश कुमार राय की पत्नी समेत बच्चे के आंखों की आंसू रूक नहीं रहे है. वहीं परिजनो की चित्कार से गांव का माहौल गमगीन हो चुका है.




गौरवपूर्ण इतिहास रहा है डुमरिया खुर्द का

‌डुमरिया खुर्द गांव का गौरव पूर्ण इतिहास रहा है और यहां के लोग शिक्षा, आध्यात्म, सामाजिक कार्य, राजनीति, सिविल सेवा, प्रशासनिक सेवा, खेल कूद, पत्रकारिता आदि जैसे क्षेत्रों में एक अलग मिसाल कायम किया है. हाल के दो दशकों में इस गांव के युवाओं ने यहां की तस्वीर बदल दी है. यह गांव सभी मायनों में सुखी-संपन्न की श्रेणी में जाना जाता है.  लेकिन एक लंबी शांति के बाद आपसी खूनी संघर्ष के एक नये खेल ने ग्रामीणों को आशंकाओं के बादल से घेर दिया है.


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