
जिउतिया 21 को,महिलाएं 33 घंटे का निर्जला व्रत करेंगी इस बार
लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : भारतीय संस्कृति में अश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी का विशेष महत्व है. इस दिन माताएं संतान की दीर्घायु के लिए निराधार महाव्रत धारण करती हैं. पंडित अजय कांत ठाकुर एवं कृष्णकांत झा बताते हैं कि इस वर्ष जिउतिया व्रत 21 एवं 22 सितंबर को है. इसके पूर्व 20 सितंबर को महिलाएं नहाय-खाए करेंगी. जिसमें व्रती गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद मड़ुआ की रोटी, नोनी का साग, कंदा, झिंगली आदि का सेवन करतीं हैं. व्रती द्वारा स्नान – भोजन के बाद पितरों की पूजा भी की जाती है. व्रत के दिन सूर्योदय से पहले सरगही-ओठगन करके इस कठिन व्रत का संकल्प लिया जाता है. व्रत का पारण 22 सितंबर की दोपहर में होगा. बताया जाता है कि एक दशक बाद इस वर्ष जिउतिया व्रत 24 घंटे से अधिक समय का है.
पकवानों से सजती है डाली
जिवित्पुत्रिका व्रत धारण करने वाली महिलाओं के द्वारा बताया जाता है कि अखण्ड डाला में नारियल, खीरा, बांस के पत्ते, जियल के पत्ते, पान, सुपारी, जनेऊ सहित फल एवं पकवान भर कर लाल कपड़े में बांध दिया जाता हैं. जिसके उपरांत व्रतधारी महिलाएं जिवित्पुत्रिका व्रत की कथा श्रवण करती हैं. व्रत का पारण करने के पूर्व घर के संतान अखण्ड डाली पर रखे लाल रंग के कपड़े को हटाते हैं. इसके बाद ही व्रतधारी जिउतिया व्रत का पारण करती हैं. पारण में व्रतधारी भात, नोनी की सब्जी, साग एवं मडुवा की रोटी ग्रहण करती हैं. इस वर्ष 21 को डाली भराई एवं 22 को इसे खोला जाएगा.
पौराणिक कथा
भारतीय संस्कृति में पर्व त्योहार का विशेष महत्व है और सभी पर्व पौराणिक कथा से जुड़ी हुई हैं. मान्यता रही है कि जिमुत वाहन राजा ने गरुड़ से मुक्ति दिलाकर कई मृत पुत्रों को जीवित करवाया था. द्रोपती ने अपने पुत्र की दीर्घायु के लिए जिवित्पुत्रिका व्रत रखा था. उसके बाद महिलाएं अपने संतान की दीर्घायु होने के लिए अश्विनी माह के कृष्ण पक्ष अष्टमी को जिवित्पुत्रिका व्रत करती आ रही हैं.
इस बार 33 घंटे का निराधार उपवास
इस बार व्रती अपनी संतान के लिए लगातार 33 घंटे निर्जला उपवास करेगी. पंडित गण के मुताबिक महाअष्टमी व्रत मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. महाअष्टमी व्रत बहुत ही नियम एवं श्रद्धा से भक्त गण करते है. आश्विन कृष्ण सप्तमी को स्नान करके पितरों की पूजा से इस महाव्रत की शुरुआत होती है. पंडित कृष्णकांत झा ने बताया कि विश्वविद्यालय पंचांग के अनुसार जिउतिया व्रत का शुभमुहूर्त निम्न प्है.
नहाय खाय : 20 सिंतबर 2019 को
अष्टमी तिथि शुरू : 21 सितंबर 2019 को दोपहर 3 बजकर 43 मिनट पर ( सप्तमी युक्त महाअष्टमी व्रत सुबह से प्रारंभ )
डाली भराई : 21 सितंबर 2019 को संध्या 4 बजे से 5 बजे के बीच
अष्टमी तिथि समाप्त : 22 सितंबर 2019 दोपहर 2 बजकर 49 बजकर मिनट तक उसके बाद पारण