खरना पूजन के साथ छठ व्रतियों का 36 घंटे का उपवास शुरू
लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व के दूसरे दिन बुधवार को रात्रि में खरना पूजन किया गया. पवित्रता एवं सादगी से छठ व्रतियों पूजन किया. वहीं छठ मैया पर आधारित लोकगीतों से माहौल भक्तिमय बना हुआ है. खरना पूजन में प्रसाद के रूप में गन्ने के रस से बना चावल की खीर, घी पुरी, चावल का पिट्ठा बनाकर छठ व्रतियों ने भगवान को भोग लगाया तथा देवी षष्ठी का आह्वान किया गया. इस दौरान पूरे घर की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा गया. खरना का प्रसाद ग्रहण करके छठ व्रतियों ने 36 घंटा निर्जला उपवास शुरू किया.
वर्त के तीसरे दिन गुरूवार को कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी को छठ का प्रसाद बनाया गया. प्रसाद के रूप में ठेकुआ, चावल का लडुआ एवं विभिन्न फल शामिल रहता है. उस दिन शाम को बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है और फिर छठ व्रती के साथ परिवार तथा पड़ोस के लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए घाट की ओर चल पड़ते हैं. छठ व्रती एक नियत समय पर तालाब, वैकल्पिक घाट या नदी किनारे इक्ट्ठा होकर सामूहिक रूप से अर्घ्य दान करेगें. इस दौरान छठी मैया की प्रसाद भरे सूप से पूजा की जाती है और भगवान सूर्य को जल एवं दूध का अर्घ्य दिया जाता है.
महापर्व के चौथे दिन शुक्रवार को सुबह उदीयमान भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इस दौरान व्रती वहीं पुनः इक्ट्ठा होते हैं, जहाँ उन्होंने शाम को अर्घ्य दिया था. जहां पुनः पिछले शाम की प्रक्रिया की पुनरावृत्ति होती है. जिसके बाद छठ व्रती सभी को घाट पर आशीर्वाद देती है और फिर घर आकर शर्बत पीकर तथा प्रसाद ग्रहण कर व्रत पूर्ण करते हैं.
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