प्रवासी मजदूर का पार्थिव शरीर पहुंच न सका गांव, परिजन करते ही रह गए इंतजार
लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : सरकार, प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों के असहयोगात्मक रवैये के कारण मौत के शिकार बने एक मजदूर के परिजन अंतिम दर्शन तक के लिए तरस गए और उनकी आंखें पार्थिव शरीर का इंतजार ही करती रह गई. उधर चंडीगढ़ में सड़क दुर्घटना में मौत के बाद मजदूर के शव को परिजनों की रजामंदी के बगैर मृतक के साथियों ने वहीं दाह-संस्कार कर दिया. स्थिति यह थी कि रूपयों के अभाव में न तो मजदूर का शव चंडीगढ़ से उनके गांव पहुंच सका और न ही उसके परिजन ही चंडीगढ़ जा सके. आर्थिक तंगी के बीच मृतक की पत्नी राजकुमारी देवी, मां दुलारी देवी सहित उनकी छह संतानें पार्थिव शरीर के घर तक पहुंचने की बाट ही जोहते रह गए.
उल्लेखनीय है कि मंगलवार की सुबह चंडीगढ़ के फतेहपुर साहिब जिला के गोविन्दगढ़ थाना क्षेत्र में खगड़िया जिले के बेलदौर प्रखंड के बोबिल पंचायत के वार्ड नंबर 9 निवासी मजदूर सुंदरवन साह की मौत सड़क दुर्घटना में हो गई. बताया जाता है कि ड्यूटी पर जाने के दौरान वे हादसे का शिकार हो गए. घटना की जानकारी मिलते ही मृतक के घर में कोहराम मच गया. बताया जाता है कि आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिजनों ने सुंदरवन के पार्थिव शरीर को चंडीगढ़ से घर तक मंगवाने की हर जगह गुहार लगाई. लेकिन किसी ने भी पहल नहीं की और मृतक के परिजनों की आंखे सुंदरवन का अंतिम दर्शन तक के लिए तरसती रह गईं.
सुंदरवन को दो पुत्र सहित कुल छ: संतानें हैं. जो अपनी मां व दादी के साथ गांव में ही रहते हैं. उधर घटना के बाद सुंदरवन का शव बिहार नहीं आ पाने से उनके पुत्र अपने पिता को मुखाग्नि देने से वंचित रह गए. मिली जानकारी के अनुसार चंडीगढ़ में मृतक के बड़े चचेरे भाई गोपाल साह ने मुखाग्नि दी.
मामले पर श्रम अधीक्षक निखिल रंजन ने बताया कि सरकारी प्रावधान के तहत प्रवासी मजदूर के शव को दुर्घटना के बाद घर तक पहुंचाने की कोई व्यवस्था नहीं है. साथ ही उन्होंने बताया कि विभागीय स्तर पर मजदूर के शव को बिहार मंगाने के लिए बिहार भवन, नई दिल्ली से संपर्क किया गया. लेकिन वहां से भी सकारात्मक जबाब नहीं मिला.