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हाय रे सिस्टम ! अच्छा सिला दिया तूने मेरे…

लाइव खगड़िया : जिले के स्वास्थ्य क्षेत्र में डॉक्टर स्वामी विवेकानंद एक चर्चित नाम रहा है और जिले के इस चिकित्सक के सेवा भाव की चर्चाएं होती रही है. एक वो भी वक्त रहा था जब वे सुदूर फरकिया इलाके के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में वे नाव पर अल्ट्रासाउंड मशीन सहित अन्य मेडिकल उपकरणों के साथ बाढ़ पीड़ितों को नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवा व दवा मुहैया कराने अपनी टीम के साथ पहुंच जाते थे. आज भी आपदा के वक्त जब कभी जिले में अतिरिक्त मेडिकल टीम व स्टाफ की जरूरत होती है तो निगाहें डॉक्टर स्वामी विवेकानंद की तरफ ही जाती है और इसका ताजा उदाहरण कोरोना काल का रहा है. लेकिन डॉक्टर स्वामी विवेकानंद के सेवा भाव पर सिस्टम की तिरछी निगाहें पड़ी है. दूसरी तरफ प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल खड़ा करते हुए डॉक्टर विवेकानंद ने गंभीर आरोप लगाते हुए जिला प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है.

जानें, क्या है मामला

दरअसल सदर अनुमंडल पदाधिकारी सहित अन्य पदाधिकारियों की एक संयुक्त टीम ने 8 फरवरी को इमेज अल्ट्रासाउंड की जांच की गई थी और संस्थान में रेडियोलॉजिस्ट चिकित्सक उपलब्ध नहीं रहने और अन्य के द्वारा अल्ट्रासाउंड करने का आरोप लगाते हुए स्पष्टीकरण की मांग की गई थी. इधर प्रशासनिक स्पष्टीकरण का जवाब देते हुए रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर विवेकानंद ने बताया कि वे 2 जून 2022 को ही सिविल सर्जन कार्यालय में इमेज अल्ट्रासाउंड में काम करने वाले रेडियोलॉजिस्ट एवं सोनोलॉजिस्ट डॉक्टर का नाम, डिग्री, अनुभव प्रमाण पत्र एवं सहमति पत्र का एफिडेविट जमा कर चुके हैं, जिसमें सोनोलॉजिस्ट डॉक्टर अमर सत्यम (एमबीबीएस, एमएस) का भी नाम था और जब जांच टीम सेंटर पर पहुंची उस वक्त अमर सत्यम वहां मौजूद थे. लेकिन किसी मरीज का वहां अल्ट्रासाउंड नहीं हो रहा था. इसकी पुष्टि के लिए डॉक्टर विवेकानंद के द्वारा उस वक्त की एक वीडियो क्लिप भी उपलब्ध कराया गया है. साथ ही डॉक्टर विवेकानंद के द्वारा बताया गया है कि सोनोलॉजिस्ट डॉक्टर अमर सत्यम (एमबीबीएस, एमएस) की डिग्री को जांच टीम अल्ट्रासाउंड करने के लिए वैध नहीं मान रही है. जबकि निदेशालय स्वास्थ्य सेवाएं, पटना (बिहार) के पत्रांक 847(12) दिनांक 8/6/2018 के द्वारा सिविल सर्जन को भेजे गये पत्र का हवाला देते हुए डॉक्टर विवेकानंद ऐसा प्रावधान होने का दावा कर रहे हैं.

लगाया गया है गंभीर आरोप

मामले पर डॉक्टर स्वामी विवेकानंद ने गैर कानूनी रूप से अवैध धन उगाही के उद्देश्य से सेंटर को सील करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि सदर अनुमंडल पदाधिकारी के द्वारा 8 फरवरी 2023 को निरीक्षण किया गया और अनुबंध को रद्द कर दिया गया. जबकि सेंटर को 9 फरवरी को सील किया गया और 10 फरवरी को स्पष्टीकरण की मांग की गई. साथ ही PNDT Act का नहीं बल्कि इस्टेबलिशमेंट एक्ट की धारा के तहत मामला दर्ज किया गया. डॉक्टर विवेकानंद का आरोप है कि अल्ट्रासाउंड की धारा की जगह नर्सिंग होम एक्ट की धारा लगाकर परेशान करने की नियत से मामला दर्ज किया गया है. अमूमन स्पष्टीकरण के बाद अनुबंधन रद्द करने व सील करने की प्रक्रिया की जाती है. लेकिन इस मामले में पहले अनुबंध रद्द करना, उसके बाद सेंटर को सील करना और बाद में स्पष्टीकरण की मांग किया जाना खुद एक बड़ा सवाल है. हलांकि डॉक्टर विवेकानंद के आरोपों व बातों में कितनी सच्चाई है, यह एक जांच का विषय है. दूसरी तरफ मामले में प्रशासनिक स्तर से कोई टिपण्णी सामने नहीं आ सका था.

गेंद अब डीएम के पाले में

बहरहाल डॉक्टर विवेकानंद ने जिलाधिकारी से मामले की जांच करा कर न्याय की गुहार लगाई है. ऐसे में अब गेंद डीएम के पाले में है और देखना दीगर होगा कि वे इस हाई प्रोफाइल मामले को कितनी गंभीरता से लेते हैं.

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