मुश्किल वक्त में भी न हौसला टूटा व न हिम्मत हारीं, तारीफ के काबिल है रूची की कहानी
लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : बदलते दौर में बेटियां भी समाज के हर क्षेत्र में कामयाबी का परचम लहरा रही है. जिले की एक बेटी ने फिर यह साबित कर दिया कि तमाम परेशानियों ने बीच लगन व मेहनत से हर मुकाम को हासिल किया जा सकता है. जिले के परबत्ता प्रखंड के कन्हैयाचक गांव निवासी स्व प्रशांत मिश्रा व वीणा देवी की बेटी रूची कुमारी दारोगा पद के लिए चयनित होकर लड़कियों के लिए एक रोल माॅडल बन चुकी है. बिहार पुलिस अकादमी राजगीर में एक साल कठिन प्रशिक्षण के बाद उनके कंधे पर दो स्टार लगा. राजगीर में आयोजित दीक्षांत समारोह में रुची की मां वीणा देवी भी उपस्थित थीं और 4 मार्च का वह दिन इस परिवार के लिए गर्व का पल था.
उल्लेखनीय है कि रूची के दादा स्व.चंद्रकांत मिश्र का 2010 में निधन हो गया था. जिसके बाद 2012 में उनकी दादी और फिर उनके पिता प्रशांत मिश्र का भी निधन हो गया. दादा, दादी और पिता के निधन के बाद रूची व उनके परिवार पर दुःखों का पहाड़ टूट गया. यह वक्त था जब इस परिवार को भरण-पोषण की चिंता तक सताने लगी थी. वर्ष 2012 के दसवीं में स्कूल टॉपर एवं 2014 के 12वीं की परीक्षा में कॉलेज टॉपर रहने के बावजूद रुची परबत्ता के ही एक प्राईवेट स्कूल में बतौर शिक्षिका पढ़ाने लगी. इस पेशे से जुड़ जाने से उन्हें अपनी पढ़ाई के लिए अधिक समय नहीं मिल पा रहा था. ऐसे में रुची ने प्राईवेट स्कूल में पढ़ाना छोड़ अपने घर पर ही बच्चों को पढ़ाने लगी. तीन भाई-बहनों में रुची एवं उसकी बड़ी बहन भी बच्चों को पढ़ाकर अपने परिवार का भरण पोषण करने लगी. स्नातक की परीक्षा देने के बाद 2019 में रुची को दारोगा पद के रिक्ती की जानकारी मिली और इस पद के लिये फॉर्म भर अप्लाई कर दिया. हलांकि परिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के कारण उनकी प्री एक्जाम की तैयारी कुछ खास नहीं थी. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और जब भी उन्हें वक्त मिलता वे परीक्षा की तैयारी में कोई जुट जाती. इसी हालात में उन्होंने प्री परीक्षा पास की और उनकी आगे की चुनौती मैन्स एवं शारीरिक परीक्षा में सफल होना था. लेकिन तमाम विषम परिस्थियों के बावजूद उन्होंने हर चुनौती को पार किया और दारोगा की परीक्षा के हर चरण में सफल रही.
20 जनवरी 2022 को बेगूसराय रेंज के डीआईजी सत्यवीर सिंह ने व्यवहारिक प्रशिक्षण के लिए रूची को मधुबनी जिला में योगदान के लिए नियुक्ति पत्र सौंपा तो रूची मिश्रा के आंखों में खुशी के आंसू थे. अपनी बेटी की सफलता पर उनकी मां कहती हैं कि एक वह वक्त भी था जब परिवार पर सिर्फ दुखों का पहाड़ ही था. लेकिन आज उनकी बेटी अपनी मंजिल को पाने में सफल रही और यह ना सिर्फ रूची के लिए बल्कि इस परिवार के लिए एक सकून देने वाला पल है.