
इस दुर्गा मंदिर में रह दो दर्जन से अधिक श्रद्धालु कर रहे निर्जला उपवास
लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : जिले के परबत्ता प्रखंड के नयागांव शिरोमणि टोला स्थित मां दुर्गा मंदिर लोगों के आस्था व विश्वास का केन्द्र बन गया है. कहा जाता है कि संतान प्राप्ति की मुराद पूरी करने के लिए यह मंदिर विख्यात है. इस मंदिर में इस वर्ष भी दो दर्जन से अधिक श्रद्धालु निर्जला उपवास पर हैं. कहा जाता है कि हर वर्ष मंदिर में रहकर निर्जला व्रत करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है. निर्जला उपवास के क्रम में श्रद्धालु मां के प्रथम पूजन के दिन से ही मंदिर प्रांगण में रहते हैं. जबकि मां की प्रतिमा विसर्जन उपरांत ही वे जल और अनाज ग्रहण करते हैं.
नयागांव शिरोमणि टोला मंदिर में इस वर्ष निर्जला उपवास रखने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 26 बताया जाता है. जिसमें 25 की संख्या में महिला और एक पुरुष शामिल हैं. प्रत्येक दिन मंदिर के मुख्य पंडित बेदानंद मिश्र उर्फ भूसी द्वारा श्री दुर्गा सप्तशती कथा का श्रवण निर्जला व्रर्ती करती है. इस वर्ष संजू भारती, मोहन प्यारे, प्रतिमा देवी, मोनी देवी, मूलो देवी, रीता देवी, मंजू देवी, अनीता देवी, पूनम देवी, शिवानी देवी, चंदा देवी, सिंधु देवी, आशा देवी, संजीरा देवी, चंद्रकला देवी, राम प्यारी देवी, लक्ष्मी देवी, कोशल्या देवी, सुनीता देवी आदि निर्जला उपवास पर हैं. वहीं पंडित के द्वारा सभी निर्जला उपवास करने वालों के हाथों में रक्षा सूत्र बांधा गया है.
नयागांव शिरोमणि टोला के दुर्गा समिति के द्वारा हर वर्ष चंदा इकट्ठा किया जाता है. जो मंदिर निर्माण और मंदिर विकास के कार्यों में लगाया जाता हैं. इस वर्ष भी दुर्गा समिति का गठन होता है. जिसके सदस्यों का कार्यकाल मात्र एक वर्ष तक हीं होता है. पूजा समाप्ति उपरांत गांव में बैठक की जाती है. जिसमें दुर्गा समिति के सदस्यों के द्वारा पूरे साल का लेखा-जोखा देना होता हैं. तत्पश्चात कमेटी को भंग कर दिया जाता है.
शिरोमणि टोला मंदिर में मूर्ति पूजन प्रारंभ होने पर सबसे पहले मूर्ति का निर्माण चकला निवासी बंगाली खानदान के मूर्ति कलाकारों के द्वारा किया गया था. उस परिवार के द्वारा ही कई एक सालों तक मूर्ति का निर्माण होता रहा. लेकिन वर्तमान में कवेला निवासी विजय के द्वारा मूर्ति की कलाकृति की जा रही है.
इस वर्ष भी दुर्गा पूजा के अवसर पर अखाड़ा का भी आयोजन शिरोमणि टोला के ही लोगों के द्वारा प्रारंभ किया गया है. जिसकी शुरुआत स्थानीय निवासी ख्याति प्राप्त बाबूलाल पहलवान के द्वारा की गई थी. अखाड़ा में दूसरे प्रांतों से पहलवान पहुंचते हैं. साथ ही शिरोमणि नाट्य कला परिषद के द्वारा भारतीय सभ्यता व संस्कृति की झलक नाट्य कला के माध्यम से दिखाई जाती है.