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चूं-चूं के मुरब्बे की याद दिला रहा मानसी का प्रिस्टीन मेगा फूड पार्क


लाइव खगड़िया (मनीष कुमार) : चूं-चूं के मुरब्बे का जिक्र तो होता बहुत है. लेकिन पल्ले कभी नहीं पड़ता. इस सुखद सच की वास्तविकता महज इतनी है कि यह सिर्फ एक मुहावरा है. जिले के मानसी प्रखंड के एकनियां में प्रिस्टीन मेगा फूड पार्क के स्थापना के कार्य का हाल भी कुछ ऐसा ही है. वर्षों से कार्य चल रहा है…चल रहा है…लेकिन यह पार्क आज भी पूर्ण रूप से अस्तित्व में नहीं आ सका है. अधूरे पड़े इस प्रोजेक्ट को पूर्ण करने का समय सीमा अबतक चूं-चूं का मुरब्बा ही साबित हुआ है. वर्ष 2015 में प्रिस्टीन मेगा फूड पार्क का शिलान्यास किया गया था. यह शर्मनाक ही रहा था कि आधे-अधूरे पार्क के बारे में तत्कालीन केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल को सही जानकारी नहीं दी गई और वे नवंबर 2018 में पार्क का उद्घाटन करने पहुंच गई थी. लेकिन अधूरे कार्य को देखते हुए ही वे बिफर पड़ी और पार्क का उद्घाटन करने से उन्होंने मना कर दिया. उस वक्त मंत्री ने मंच से ही कंपनी के अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई थी. खैर, तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री ने संबंधितों को उस वक्त आईना दिखा दिया था. मौके पर स्थानीय कई जनप्रतिनिधि भी मौजूद थे. लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि आज भी इस आईने में संबंधित अपना मुंह देखना ही नहीं चाहते. इस मामले का भी दो साल से अधिक का समय हो गया है और आज भी फूड पार्क उद्घाटन का बाट जोह रहा है. 



गौरतलब है कि प्रिस्टीन मेगा फूड पार्क यदि अस्तित्व में आ गया रहता तो यह बिहार का पहला फूड पार्क होता. यहां 32 तरह के खाद्य पदार्थों का प्रसंस्करण होना है. फूड पार्क के वेयर हाउस में किसान अपने अनाज अधिक दिनों तक सुरक्षित रख सकेंगे. जबकि कोल्ड स्टोरेज में किसान आसानी से फल, सब्जी, मछली आदि अधिक दिनों तक सुरक्षित रख सकेंगे. साथ ही दो मीट्रिक टन प्रति घंटा कैन तैयार करने के लिए कैनिंग लाइन में मशरूम, हरी मटर, बेबी कॉर्न, स्वीट कॉर्न, केला, आलू, दूध आदि से बने उत्पाद की पैकिंग होनी है. जिससे जिले के विकास का एक नया मार्ग प्रशस्त होगा.

बहरहाल जिले के ही पशुपति कुमार पारस को नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार में बतौर कैबिनेट मंत्री शामिल किया गया है और उन्हें खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली है. जिससे प्रिस्टीन मेगा फूड पार्क के पूर्ण रूप से अस्तित्व में आने की उम्मीदें जगी है. बताया जाता है कि इस फूड पार्क का वर्ष 2022 तक पूर्ण रूप से अस्तित्व में आने की संभावना है. देखना दीगर होगा कि अगले वर्ष तक भी जिले का मेगा फूड पार्क पूर्ण रूप से अस्तित्व में आ पाता है या एक बार फिर यह वक्त चूं-चूं का मुरब्बा ही साबित होता है.

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