
मिठास संग मुनाफा दे रही पपीते की खेती, समृद्ध हो रहे किसान
लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : जिले के परबत्ता प्रखंड अंतर्गत बैसा के किसान प्रभाष मंडल आधुनिक तरीके से पपीते की खेती कर अच्छी मुनाफा कर रहे हैं और साथ ही वे अन्य किसानों के लिए प्रेरणा श्रोत बन गए हैं. वे पारंपरिक केला की खेती को छोड़ विगत दो वर्षों से अपने चार बीघा खेतों में पपीता की खेती कर रहे हैं. साथ ही उनसे प्रेरित होकर किसान सुधीर मंडल, हीरा चौरसिया, धानो साह भी अब पपीता की खेती कर अच्छी मुनाफा कर रहे हैं.
बैसा मौजा में लगभग नौ बीधा खेतों में लहलहाती पपीता बगान किसानों के जीवन के साथ साथ आमलोगों में मिठास भर रही हैं. किसान प्रभाष मंडल ने बताया कि दो साल पूर्व नवगछिया अनुमंडल के कटरिया से देसी पपीता का बीज लाकर नर्सरी किया तथा दो बीघा खेतों में उस नर्सरी को लगाया. इस बार चार बीधा में पपीता की खेती कर रहे हैं. साथ ही आसपास के किसान भी इस खेती से प्रेरित होकर पपीता की खेती करने लगे हैं. उन्होंने बताया कि यदि एक बीधा पपीता की खेती करने में 50 हजार खर्च होते हैं और कोई प्राकृति आपदा नहीं हुआ तो लागत का लगभग तिगुना मुनाफा होना निश्चित है.
बताया जाता है कि यहां के देसी पपीता बगान की मिठास अन्य राज्यों में भी पहुंच रही है. यहां से पपीता खगड़िया ,बेगुसराय, भागलपुर, पूर्णियां, गोपालगंज आदि जिले के साथ पश्चिम बंगाल के भी व्यापारी भी ले जा रहे हैं. पपीता के बगान में आना एक सुखद अनुभूति देता है. इस बगान के पपीते का वजन डेढ़ किलो से चार किलो तक का होता है. किसान बताते हैं कि पपीते के उत्पादन के लिए नर्सरी में पौधों का उगाना बहुत महत्व रखता है. इसके लिए बीज की मात्रा एक हेक्टेयर के लिए 500 ग्राम पर्याप्त होती है. बीज पूर्ण पका, अच्छी तरह सूखा और शीशे की जार या बोतल में रखा होना जरूरी है. साथ ही बीज 6 महीने से ज्यादा पुराना नहीं होना उपयुक्त माना जाता है. बताया जाता है कि बोने से पहले बीज को 3 ग्राम केप्टान से एक किलो बीज को उपचारित करना चाहिए. पपीता की खेती करने वाले किसान बताते हैं कि नर्सरी के बाद पपीता के पौधे को जब खेतों में लगाया जाा है तो तीन माह बाद नर और मादा पौधे की पहचान होने लगती है. नर पपीता के पौधे पर फल नहीं लगते हैं और तने पर गुच्छे में हल्के पीले रंग के लंबे फूल दिखते हैं. जबकि मादा पेड़ में पत्तियों से फूल दो से तीन की संख्या में निकलते हैं और फूल का आकार छोटा रहता है. एक बीघा खेतों में तीस से चालीस नर पपीता का पौधा होना भी जरूरी है. किसानों ने बताया कि यदि सरकारी मदद मिल जाती तो पपीता की खेती बैसा बहियार में बड़े पैमाने पर होने लगेगी.
फायदेमंद है पपीता
डा. पुष्प कुमारी, डॉ अविनाश कुमार बताते हैं कि पपीते में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है और यह शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. जिससे वायरल बीमारियों का असर कम होता है. यह कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए भी एक बेहतर आहार है. साथ ही चिकित्सक बताते हैं कि पपीते में मिलने वाली विटामिन ए की मात्रा आंखों की रोशनी को बढ़ाता है. पपीता पाचन क्रिया को भी दुरुस्त रखता है और इसके सेवन से कब्ज जैसी बीमारी नहीं होती है. जबकि पपीता महिलाओं में माहवारी के दौरान होने वाली परेशानियों को भी दूर करता है. पपीते के सेवन से त्वचा संबंधी रोग से भी निजात मिलती है. कच्चे पपीते को पीसकर उसे बालों में लगाने से बाल घने और सुंदर होते हैं.