‘पीला सोना’ को नहीं मिल रहा भाव, खरीदार नहीं मिलने से सड़ने लगा है मक्का
लाइव खगड़िया : फरकिया मक्का उत्पादन का बड़ा हब रहा है और यह एशिया में अपना स्थान रखता है. लेकिन इस साल ‘पीला सोना’ के नाम से प्रसिद्ध मक्का की गिरती कीमत ने फरकिया के मक्का किसानों को हताश कर दिया है और किसानों की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है. एक तरफ सरकार का न्यूनतम समर्थन मूल्य कागजों पर ही सिमट कर रह जाने से किसानों के बीच नाराजगी है. दूसरी तरफ न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मक्के को बेचे जाने की आस जैसे-जैसे लंबी होती जा रही है वैसे-वैसे रखरखाव के अभाव में किसानों काा मक्का खराब होने लगा हैं और वे अपने खून-पसीने की मेहनत से उपजाये गये फसल को ओने-पोने भाव में बेचने को मजबूर हो गये हैं.
मामले पर बिहार किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष धीरेंद्र सिंह टुडू बताते हैं कि पिछले वर्ष मक्का 1800 से शुरू हो कर 2500 प्रति क्विंटल की दर से बिका था. जिससे इस साल किसानो ने गहना तक को गिरवी रख इस उम्मीद के साथ मक्के की खेती किया कि फसल होते ही गहने को गिरवी से छुड़ा लिया जायेगा. लेकिन आज मक्का किसानों को लागत पूंजी भी नहीं निकल पा रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि मक्का का भाव 1100 से 1200 प्रति क्विंटल होने से किसानों का दर्द बढ गया है. दूसरी तरफ विभिन्न राजनीतिक दल चुनाव के तैयारी में जुट गई है और किसानों को कोई देखने वाला नहीं है.
बिहार किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा है कि सांसद महबूब अली कैसर द्वारा मक्का का खरीद सुनिश्चित करने की कही गई बातें हवा-हवाई साबित हो रहा है और किसानों का मक्का सड़ने लगा है. ऐसे में बिहार किसान मंच के बैनर तले मक्का किसान 5 जुलाई को अपने-अपने दरवाजे के सामने सांसद का पुतला दहन कर विरोध प्रदर्शन करेंगे.
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