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…तो ऐसे बन गई करवा चौथ में छलनी से चांद देखने की परंपरा !




लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : इस वर्ष करवा चौथ का व्रत गुरूवार को है. इस व्रत को महिलाएं दिन भर निर्जला रहकर करतीं हैं. मान्‍यता है कि व्रत के प्रभाव से पति की उम्र लंबी होती है. करवा चौथ सुहागिन महिलाओं के सभी व्रतों में बेहद खास है. इस दिन महिलाएं दिन भर भूखी-प्‍यासी रहकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है. इस दिन पूरे विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने के बाद करवा चौथ की कथा सुनी जाती है. फिर रात के समय चंद्रमा को अर्घ्‍य देने के बाद व्रत संपन्‍न होता है. कहा जाता कि करवा चौथ का व्रत करने से अखंड सौभाग्‍य का वरदान मिलता है. जानकीचक निवासी पंडित कृष्णकांत झा के अनुसार विश्वविद्यालय पंचांग के मुताबिक इस वर्ष करवा चौथ का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है..




करवा चौथ की तिथि और शुभ मुहूर्त

तिथि : कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी

तारीख : 17 अक्टूबर

दिन : गुरुवार

पूजा मुहूर्त : शाम 5.33 से 06:32 बजे तक

करवा चौथ व्रत समय : सुबह 05:33 बजे से रात 07  बजे तक. उसके बाद चन्द्रोदय

चतुर्थी तिथि : करवा चौथ के दिन चतुर्थी तिथि की शुरुआत सुबह 05 बजकर 33 मिनट से

चतुर्थी तिथि का समापन  : 18 अक्टूबर सुबह 4:40 बजे

छलनी से चांद देखने की परंपरा

छलनी से चांद को देखने की एक पौराणिक कथा के अनुसार एक साहुकार की  बेटी ने अपने पति की लम्बी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था. जब सभी भाई खाना खाने बैठे तो बहन को भी बुलाया लेकिन बहन ने चांद पूजन के बाद ही कुछ खाने की बात कही. ऐसे में भाईयों को अपनी बहन की चिंता हुई और उन्होंने दूर एक दिया रखकर छलनी के माध्यम से अपनी बहन को दिखाया और कहा कि चांद निकल आया है. बहन ने उसे चांद समझकर पूजा कर लिया. इसके बाद जब बहन ने व्रत तोड़ा तो उसके पति की तबियत बहुत खराब हो गई. तब से आज तक छलनी में दीया रखकर चांद को देखने और फिर पति की पूजा का चलन चलता आ रहा है. ऐसा छल किसी और शादीशुदा महिला के साथ ना हो इसीलिए छलनी से चांद को देखने की परंपरा चल पड़ी.


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