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आस्था : इस मंदिर में मां की आराधना से भर जाती है सूनी गोद




लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : जिले के परबत्ता प्रखंड के नयागांव शिरोमणि टोला स्थित मां दुर्गा की मंदिर लोगों के आस्था व विश्वास का केन्द्र है. कहा जाता है कि इस मंदिर में श्रद्धालु रोते हुए आते हैं और मां के दरबार से हंसते हुए वापस लौटते हैं. बताया जाता है कि संतान प्राप्ति के लिए इस मंदिर की अपनी ख्याति व प्रसिद्धि रही है. नयागांव शिरोमणि  टोला में मूर्ति पूजन संवत 1335 वर्ष 1937 से प्रारंभ हुआ था और यह अनवरत जारी है. वक्त के साथ इस मंदिर के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ता गया और यह एक सिद्धपीठ के रूप में जाना जाने लगा.

मंदिर परिसर में निर्जला उपवास में हैं ढ़ेड़ दर्जन से अधिक श्रद्धालु

नवरात्र में निर्जला व्रत रखने वाले श्रद्धालु प्रथम पूजा के दिन से ही मंदिर प्रांगण में रहते हैं और मां की प्रतिमा विसर्जन उपरांत हीं जल और अनाज ग्रहण करते हैं. इस वर्ष भी कुल 19 भक्त निर्जला व्रत पर हैं. जिसमें 18 की संख्या महिलाओं की और एक पुरुष हैं. नयागांव शिरोमणि टोला के द्वारा ही हर वर्ष चंदा इकट्ठा किया जाता है. जो मंदिर के निर्माण और विकास कार्यों में लगाया जाता हैं. हर वर्ष दुर्गा समिति का गठन होता है. जिसके सदस्यों का कार्यकाल मात्र एक वर्ष का होता है. समिति का गठन शिरोमणी टोला के निवासियों के द्वारा ही किया जाता है और पूजा समाप्ति उपरांत टोले के द्वारा बैठक का आयोजन किया जाता है. जिसमें दुर्गा समिति के सदस्यों को पूरे साल का  लेखा-जोखा देना होता हैं. तत्पश्चात कमेटी भंग कर दी जाती है और पुनः अगले वर्ष नए कमेटी का गठन होता हैं.




शिरोमणि टोला में जब मूर्ति पूजन प्रारंभ की गई थी तो सबसे पहले मूर्ति का निर्माण चकला निवासी बंगाली खानदान के मूर्ति कलाकारों के द्वारा किया गया था और कई सालों तक उसी परिवार के द्वारा ही मूर्ति का निर्माण कराया जाता रहा था. वर्तमान में कवेला के विजय के द्वारा मूर्ति की कलाकृति की जा रही है.

पूजा के अवसर पर ग्रामीणों के द्वारा अब यहां अखाड़ा का भी आयोजन किया जाने लगा है. जिसकी नींव ख्याति प्राप्त पहलवान बाबूलाल के रखा गया था.अखाड़े में दूसरे प्रांतों से भी पहलवान शिरकत करने आते हैं. जिससे कुश्ती का रोमांच बढ जाता है. साथ ही नयागांव शिरोमणि टोले के युवाओं के द्वारा श्री शिरोमणि नाट्य कला परिषद का भी गठन किया गया है. जो मेला में नाट्य कला के माध्यम से भारतीय संस्कृति का मनमोहक रूप प्रदर्शित करते हैं.


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