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बहनें राशि के अनुसार रक्षा सूत्र का करें चयन,सिद्ध होगा लाभकारी




लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का त्योहार रक्षाबंधन इस  वर्ष 15 अगस्त को है. यह भी एक अद्भुत संयोग है कि इस बार रक्षा बंधन एवं स्वतंत्रा  दिवस एक ही दिन मनाया जाएगा. श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन का त्योहार हर भाई-बहन के लिए बेहद खास होता है. इस दिन बहन अपने छोटे और बड़े भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र यानि की राखी बांधकर अपनी सुरक्षा का वचन मांगती है.

भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने के बाद बहन उसके माथे पर तिलक लगाकर आरती करती है. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार ऐसा करने से भाई-बहन का रिश्ता अटूट हो जाता है. कहते हैं कि जब तक जीवन की डोर और श्वांसों का आवागमन रहता है एक भाई अपनी बहन के लिए और उसकी सुरक्षा, खुशियों के लिए हमेशा आगे रहता है.

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

वैसे तो भाई की कलाई पर राखी बांधने का कोई भी वक्त अशुभ नहीं माना जाता है. परन्तु भाई की दीर्घायु और खुशियों की कामना एक शुभ मुहूर्त में की जाए तो बेहतर होता हैं. पंडितों की मानें तो इस साल 15 अगस्त को सूर्योदय से सायंकाल तक राखी बांधने का मुहूर्त शुभ है.

पूजा की थाली ऐसे करें तैयार

रक्षा बंधन के इस पवित्र त्योहार पर बहनें सुबह उठकर सर्वप्रथम स्नान आदि करके नए कपड़े पहनती हैं. इसके बाद पीतल की थाली में राखी, कुमकुम, हल्दी, चावल के दाने और मिठाई रखती हैं. पूजा की थाली तैयार करने के बाद बहन के द्वारा भाई की पूजा की जाती हैं. इस क्रम में सबसे पहले बहनें भाई को तिलक कर उसकी आरती करती है. फिर उनकी कलाई को रेशम के धागे से सजाती हैं. इसके बाद उसका मुंह मीठा किया जाता है.

पूजा तक भूखे रहते हैं भाई और बहन

हिंदू धर्म की मान्यता के मुताबिक, रक्षाबंधन की पूजा तक भाई और बहन को भूखे पेट रहना आवश्यक होता है. कहा जाता है कि खाली पेट पूजा करने से भाई और बहन की पूजा सफल होती है और दुआएं पूरी होती है.

धागे से जुड़ा है संस्कार

सनातन परम्परा से किसी भी शुभ कार्य या अनुष्ठान की पूर्णाहुति बिना रक्षा बांधे पुरी नहीं होती हैं. हाथों में धागे लपेटने के पीछे मान्यता है कि इससे उनका परिवार धन धान्य रहे.




 रक्षा बंधन का मंत्र

“येनवद्धो बलिराजा दानवेन्द्र: महासुर: ।। तेन त्वां प्रतिवद्ध ।। नामि रक्षोमाचल मा चल” ।। यानी “जिस रक्षा सूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था. उसी रक्षा से मैं तुम्हें बंधता हूं. जो तुम्हारा रक्षा करें”. इसी रक्षा बंधन मंत्र के साथ बहनें अपने भाई के कलाई में राखी बांधती है और माथे पर तिलक लगाकर आरती उतारती है. भाई भी बहनें की रक्षा करने हेतु वचन देता है. धार्मिक ग्रंथ में वर्णित कथा के अनुसार जब कृष्ण एक युद्ध में घायल होकर द्रोपती के पास पहुंचतें हैं तो द्रोपती ने बिना कहें अपने वस्त्र का एक किनारा चीर कर उनकी घायल कलाई पर बांध दिया. वस्त्र के उस छोटे टुकड़े का लाज कृष्ण ने तब रखी जब कौरवों की सभा में द्रोपती के वस्त्र खीचें जा रहे थे.

बाजारें सज चुकी है राखी से 

रक्षा बंधन को लेकर बाजारों में रंग-बिरंगे राखी की दुकानों में सज चुकी है. अब तो कई ब्रांडेड कम्पनियों की राखी भी बाजारों में मिलने लगी है. दूर रहने वाली बहनों की राखी डाक से पहुंच चुकी है या पहुंचने ही वाली है. परबत्ता के उपडाकपाल मधु कुमार ने बताया है कि 15 अगस्त क़ो डाकघर खुले रहेंगे. ताकि राखी के लिफाफे व बहनों का संदेश भाई तक पहुंच सके.

रक्षा बंधन की पैराणिक कथा

पुराणों में वर्णन है कि एक बार देव व दानवों के बीच जब युद्ध शुरू हुआ तब दानव हावी होते नज़र आने लगे. ऐसे में भगवान इंद्र घबराकर गुरु बृहस्पति के पास गए और अपनी व्यथा सुनाने लगे. वहीं पर बैठी इंद्र की पत्नी भी सब सुन रही थीं. उन्होंने एक रेशम का धागा मंत्रों की शक्ति से पवित्र कर अपने पति की कलाई पर बांध दिया और इंद्र को इस युद्ध में विजय प्राप्त हुई. लोगों का मानना है कि इंद्र को विजय इस रेशमी धागा पहनने से मिली थी. उसी दिन से श्रावण पूर्णिमा के दिन यह धागा बांधने की प्रथा चली आ रही है. यह धागा एेश्वर्य, धन, शक्ति, प्रसन्नता और विजय का प्रतीक माना जाता है.

शास्त्रों में उल्लेखित है रक्षा बंधन

महाभारत में रक्षा बंधन पर्व का उल्लेख किया गया है. जब युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि मैं संकटों को कैसे पार कर सकता हूं ? तब कृष्णा ने उनकी सेना की रक्षा के लिए राखी का त्यौहार मनाने की सलाह दी थी. शिशुपाल का वध करते समय कृष्ण के तर्जनी में चोट आ गई तो द्रौपती ने लहू रोकने के लिए अपनी साड़ी फाडकर उनकी अंगुली पर बांध दी थी.

बहनें राशि अनुसार रक्षा सूत्र का करें चयन

संसारपुर गांव निवासी पंडित अजय कांत ठाकुर ने बताया कि बहनें अपने भाई के राशि के अनुसार रक्षा सूत्र का चयन कर सकते हैं. जो अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है. भेष राशि वाले के लिए लाल रंग की रक्षा सूत्र, वृषभ राशि वाले के लिए नीले रंग का, मिथुन राशि वाले के लिए हरे रंग की, कर्क राशि वाले के लिए सफेद, सिंह राशि वाले के लिए केसरिया,लाल व गुलाबी, कन्या राशि वाले के लिए सफेद या हरा रंग, तूला राशि वाले के लिए फिरोजी या जामुनी रंग, वृश्चिक राशि वाले के लिए लाल रंग, धनु राशि वाले के लिए पीला रेश्मी रंग, मकर राशि वाले के लिए गहरे रंगों की रक्षा सूत्र के साथ केसर का तिलक, कुंभ राशि वाले के रुद्राक्ष नामित राखी व हल्दी का तिलक एवं मीन राशि वाले के लिए पीला व सफेद रंग की रक्षा सूत्र भाई के कलाई में बांधने से अत्यंत लाभदायक सिद्ध होगा.


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