अंग्रेजों के हथियार लदे विमान को बर्बाद कर डाला था क्रांतिकारी महेंद्र चौधरी
लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : देश की आजादी के लिए जिले के चौथम प्रखंड के पिपरा गांव के क्रांतिकारी सपूत महेंद्र चौधरी हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गये थे.बताया जाता है कि एक साधारण परिवार में जन्मे महेंद्र चौधरी में बचपन से देशभक्ति की भावना भरी हुई थी. उनके जोश व जुनून का ही परिणाम था कि वे अंग्रेजों के आंखों का कांटा बन गये. कहा जाता है कि महेंद्र चौधरी की फांसी की सजा से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी खासा आहत थे. उन्होंने जोशीले महेंद्र चौधरी की सजा को कम करने के लिए ब्रिटिश हुकूमत पत्र भी लिखा था. लेकिन अंग्रेजी हुकूमत क्रांतिकारी महेंद्र चौधरी के जोश से इतना घबरा गया था कि उन्हें 6 अगस्त 1942 को भागलपुर सेंट्रल जेल में फांसी पर लटका दिया गया.
अंग्रेजों के हथियार लदे विमान को मिला दिया था मिट्टी में
बताया जाता है कि चौथम प्रखंड के रोहियार गांव में बागमती नदी के किनारे अंग्रेजों का हथियार लदा हुआ एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस बात की जानकारी जैसे ही महेंद्र चौधरी को मिली वे अपने साथियों के साथ विमान पर हमला बोल दिया और देखते ही देखते सभी हथियारों को नष्ट कर दिया गया. हलांकि बाद में अंग्रेजी हुकूमत के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे. लेकिन इसके पूर्व ही योद्धाओं ने हथियारों की कहानी खत्म कर दी थी. जिससे अंग्रेज बौखला गए. अपने हथियारों से हाथ धो बैठे अंग्रेज आक्रोश में महेंद्र चौधरी की खोज शुरू कर दी और कुछ दिनों तक वे अंग्रेजों को चकमा देते रहे.
धोती पहन कर अंग्रेजों को दिया था चकमा
एक बार की बात है, रात के अंधेरे में महेंद्र चौधरी अपने परिवार से मिलने पिपरा स्थित गांव आये थे. इस बात की भनक अंग्रेजों को लग गई. जिसके बाद बड़ी संख्या में अंग्रेज जवानों महेंद्र चौधरी के घर पर धावा बोल दिया. खुद को चारों तरफ से घिरा देख महेंद्र चौधरी ने एक मैली धोती को साड़ी की तरह पहनकर अंग्रेज पुलिस को चकमा देने में सफल रहे. लेकिन जब दूसरी बार वे अंग्रेजों के हत्थे चढ़े तो वे पुनः वापस लौटकर नहीं आ सके और उन्हें राष्ट्र के लिए कुर्बानी देनी पड़ी. जिसपर आज भी प्रखंड सहित जिलेवासियों को गर्व है.
देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते अपनी जान न्योछावर कर देने वाले शहीद महेंद्र चौधरी की एक स्मारक भी आजतक नहीं बन पाया है. हालांकि तत्कालीन डीएम के प्रयास से पिपरा चौक पर एक गेट जरूर बना है. जबकि मामले पर स्थानीय मुखिया मनीषा देवी कहती हैं कि शहीद की याद में जल्द ही उनका स्मारक का निर्माण पंचायत स्तर पर किया जाएगा. हालांकि प्रखंड परिसर में बने स्मारक स्थल पर उनका नाम दर्ज है. उल्लेखनीय है कि चौथम प्रखंड के दो दर्जन से अधिक लोगों ने स्वतंत्रता संग्रम में अहम भूमिका निभाई थी. जिनका नाम प्रखंड कार्यालय में लगे शिलापट्ट पर स्वतंत्रता सेनानी के रूप में अंकित है.