हजारों नम आंखों के बीच शहीद जावेद का पार्थिव शरीर सुपुर्द-ए-खाक
लाइव खगड़िया : जम्मू-कश्मीर में एलओसी पर पाकिस्तानी गोलीबारी में शहीद हुए लांस नायक मोहम्मद जावेद का तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर सड़क मार्ग से पटना से खगड़िया उनके पैतृक गांव माड़र पहुंचते ही वहां उपस्थित हर लोगों की आंखे नम हो गई और ‘वीर सपूत जावेद अमर रहे’, ‘जबतक सूरज-चांद रहेगा, जावेद तेरा नाम रहेगा’, ‘हिन्दुस्तान जिंदाबाद’ जैसै नारों से क्षेत्र गूंज उठा. वहीं लोगों में पाकिस्तान के रवैये पर भी आक्रोश दिखा और ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के भी नारे लगे. माड़र में शहीद जवान को श्रद्धांजलि देने और उनके अंतिम दर्शन के लिए लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ा था.
मौके पर बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी, खगड़िया के जदयू विधायक पूनम देवी यादव, नगर परिषद के पूर्व सभापति सह जाप नेता मनोहर कुमार यादव, वीआईपी के मुकेश सहनी, जदयू के जिलाध्यक्ष सुनील कुमार, भाजपा के जिलाध्यक्ष अर्जुन शर्मा एवं जिलाधिकारी अनिरूद्ध कुमार सहित कई नेताओं व पदाधिकारियों ने शहीद जवान के पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित किया.
जबकि सेना व पुलिस के जवानों ने शहीद को गार्ड ऑफ ऑनर दिया. जिसके उपरांत माड़र दक्षिणी स्थित कब्रिस्तान में शहीद मोहम्मद जावेद के पार्थिव शरीर को सुपुर्द-ए-खाक किया गया.
विशेष विमान से पटना पहुंचा शहीद का पार्थिव शरीर
इसके पूर्व विशेष विमान से शहीद जवान मोहम्मद जावेद का पार्थिव शरीर पटना एयरपोर्ट पहुंचा. जहां शहीद को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया.वहीं बिहार सरकार के मंत्री नंदकिशोर यादव, गृह सचिव अमीर सुब्हानी ने शहीद जवान को श्रद्धांजलि दिया.
दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हो गए खगड़िया के लाल
शहीद जवान मोहम्मद जावेद जिले के सदर प्रखंड क्षेत्र के माड़र दक्षिणी पंचायत के ईदगाह टोला निवासी मोहम्मद बरूद्दीन का पुत्र थे. जम्मू कश्मीरी के 25 ग्रेनेडियर रेजिमेंट में 93 बटालियन के जवान मो.
जावेद की कुछ दिन पूर्व ही पूंछ सेक्टर में तबादले के बाद पोस्टिंग हुई थी. सरहद पर बीते सोमवार की रात पाकिस्तान की तरफ से सीजफायर का उल्लंघन किया गया और इस गोलीबारी का भारतीय सेना के द्वारा मुंहतोड़ जवाब दिया गया. लेकिन इस क्रम में मोहम्मद जावेद को देश के लिए अपनी जान देकर शहादत चुकानी पड़ी.
है नमन उनको…
है नमन उनको कि जो यशकाय को अमरत्व देकर
इस जगत के शौर्य की जीवित कहानी हो गये हैं
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये हैं
है नमन उस देहरी को जिस पर तुम खेले कन्हैया
घर तुम्हारे परम तप की राजधानी हो गये हैं
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय
हमने भेजे हैं सिकन्दर सिर झुकाए मात खाऐ
हमसे भिड़ते हैं वो जिनका मन धरा से भर गया है
नर्क में तुम पूछना अपने बुजुर्गों से कभी भी
सिंह के दाँतों से गिनती सीखने वालों के आगे
शीश देने की कला में क्या गजब है क्या नया है
जूझना यमराज से आदत पुरानी है हमारी
उत्तरों की खोज में फिर एक नचिकेता गया है
है नमन उनको कि जिनकी अग्नि से हारा प्रभंजन
काल कौतुक जिनके आगे पानी पानी हो गये हैं
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये हैं
लिख चुकी है विधि तुम्हारी वीरता के पुण्य लेखे
विजय के उदघोष, गीता के कथन तुमको नमन है
राखियों की प्रतीक्षा, सिन्दूरदानों की व्यथाऒं
देशहित प्रतिबद्ध यौवन के सपन तुमको नमन है
बहन के विश्वास भाई के सखा कुल के सहारे
पिता के व्रत के फलित माँ के नयन तुमको नमन है
है नमन उनको कि जिनको काल पाकर हुआ पावन
शिखर जिनके चरण छूकर और मानी हो गये हैं
कंचनी तन, चन्दनी मन, आह, आँसू, प्यार, सपने
राष्ट्र के हित कर चले सब कुछ हवन तुमको नमन है
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये
(कविता : साभार कुमार विश्वास)
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