लोकगीतों के मधुर तान पर बनता है छठ महापर्व में ठेकुआ रूपी प्रसाद
लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : लोक आस्था का महापर्व छठ में ठेकुआ का प्रसाद के रूप में अपना एक अलग महत्व है.इसे छठ का महत्वपूर्ण प्रसाद माना जाता है.ठेकुआ किसी परिचय का मोहताज नहीं है.वैसे तो ठेकुआ हमारे यहां के हर पर्व-त्योहार में बनने वाला विशेष पकवान है.लेकिन महापर्व छठ के समय बनने वाले ठेकुआ की कुछ और बात है.लोकआस्था का महापर्व छठ के मौके पर बनने वाला ठेकुआ पकवान नहीं बल्कि एक विशिष्ट प्रसाद होता है.जो देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बतौर छठ का प्रसाद बन कर पहुंचता हैं.दरअसल गेहूं कै आटा से बनने वाला ठेकुआ का एक अलग पहचान है.
सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है ठेकुआ
ठेकुआ से इतर अन्य प्रसाद को ज्यादा दिनों तक सहेज कर नहीं रखा जा सकता है.लेकिन ठेकुआ सप्ताह भर बाद भी अपनी मिठास व स्वादिष्टता नहीं छोड़ती है.दूसरी बात यह भी है कि बदलते वक्त में इंसान के पोर्टेबल बनाने की चाहत में ठेकुआ खलल नहीं डालती.बात चाहे झोला की हो या फिर सुटकेस की,आराम से डालें और मीलों-मील का सफर सहजता से पूरी की जा सकती है.साथ ही ठेकुआ एक ऐसा पकवान है जिसे दिखाने,बताने व खाने में किसी को कहीं संकोच नहीं होता.
अजब-गजब कहानी हैं ठेकुआ की
बिहार में स्वादिष्ट व्यंजन निर्माण की समृद्ध परम्परा है.बुजुर्ग बताते हैं कि एक वो वक्त भी था जब बरसात आने से पहले घर में खाने की पर्याप्त चीजें बनाकर रख लीं जाती थी.ताकि बरसात में जलावन के आभाव में परेशानी नहीं हो.ये वो दौर था जब इतने होटल,परिवहन के साधन और खाने के अन्य विकल्प मौजूद नहीं था.ऐसे में स्वादिष्ट ठेकुआ ही बनती थी.हफ्ते भर की यात्रा भी करनी हो तो भूख मिटाने के लिए ठेकुआ को ही सबसे बेहतर विकल्प माना जाता था.
छठ पूजा में ठेकुआ का है अलग महत्व
माना जाता है कि छठ के प्रसाद में यदि ठेकुआ नहीं मिले तो प्रसाद अधूरा है.ऐसी मान्यता है कि भगवान सूर्य को भी ठेकुआ बहुत प्यारा है.इसीलिए इस दौरान बना ठेकुआ सबसे स्वादिष्ट बनाया जाता है.शुद्ध घी का बना ये ठेकुआ चीनी में नहीं बन कर गुड़ में बनता है.जो इसके स्वाद को बढा जाता है.गुड़ का ठेकुआ खास तौर पर छठ में ही बनता है.शुद्ध घी में तले जाने के कारण ये काफी मुलायम भी होता है.अर्घ्य देते समय अन्न होते हुए भी ठेकुआ सूर्य देवता के चढ़ावे में शामिल होता है.इसीलिए ठेकुआ का प्रसाद देना जरूरी माना जाता है.
छठ गीतों के लय पर बनता है ठेकुआ रूपी प्रसाद
छठ के ठेकुआ की एक और खास बात यह भी होता है कि यह लोकगीतों की मधुर तान पर बनता है.छठव्रती महिलाएं जब ठेकुआ बनाती हैं तो छठ के गीत गुनगुनाते रहती हैं.सूर्य देवता के प्रसाद की तैयारी करते समय गीत गाना हमारी परंपरा में शामिल हैं.भक्ति भाव से ओतप्रोत ठेकुआ रूपी प्रसाद का ऐसा स्वाद व मिठास अन्य दिनों नहीं मिल सकती है.