Breaking News

लखनऊ में साहित्यकार डॉ. कामाख्या चरण मिश्र हुए सम्मानित

लाइव खगडिया (मुकेश कुमार मिश्र) : जिले के परबत्ता प्रखंड के नयागांव निवासी हिन्दी के बहुचर्चित व बहुप्रशंसित साहित्यकार एवं सुधी समीक्षक डॉ. कामाख्या चरण मिश्र को हिन्दी भाषा एवं साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय अवदान के लिए स्वर्णिम दर्पण काव्य संगम एवं काशी हिन्दी विद्यापीठ के सचिव कवि इन्द्रजीत ‘निर्भीक’, संरक्षक कर्नल डॉ. आदि शंकर मिश्र एवं विद्यापीठ के कुलाधिपति महामना सुखमंगल सिंह मंगल के द्वारा कृष्णा नगर, लखनऊ (उ. प्र.) में ‘हिन्दी साहित्य शिरोमणि’ विशेष मानद सम्मान से सम्मानित किया गया. इसके पूर्व 2021 में ‘साहित्य मंडल ‘श्रीनाथ द्वारा उदयपुर, राजस्थान में ‘हिन्दी साहित्य भूषण एवं 2022 में बांका (बिहार) में सरस्वती साहित्य कला केन्द्र द्वारा उन्हें उनकी कालजयी कृति ‘पिएँ प्राण मानस का रस ‘के लिए ‘हिन्दी साहित्यरत्न ‘ की विशेष मानद उपाधि से विभूषित एवं अलंकृत किया गया था.

डॉ. मिश्र ने निरालोत्तर गीत पीढ़ी के अप्रतिम गीतकार आचार्य श्री जानकीवल्लभ शास्त्री जी के सान्निध्य में साहित्य – सृजन किया है और वे सन् 1987 से हिन्दी लेखन से जुड़े हैं. शुरुआत में अपने गांव के विद्यालय से निकलने वाली श्रीकृष्ण पत्रिका में वे लिखते थे. उसके उपरांत जब शास्त्री जी के संपर्क में आए तब बिहार राजभाषा पत्रिका पटना, धर्मायण महावीर मंदिर प्रकाशन पटना, निराला निकनिकेत पत्रिका’ बेला ‘ के अतिरिक्त दैनिक पत्र-पत्रिकाओं में इनके दर्जनों शोधपरक साहित्यिक – सांस्कृतिक आलेख प्रकाशित हुए. अब तक इनकी आठ से दस गद्य पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और कुछ साधन के अभाव में अभी भी अप्रकाशित है. आचार्य कवि श्री जानकीवल्लभ शास्त्री के गीतों का शास्त्रीय अध्ययन, कंदर्प – कामिनी, कंटीला रास्ता, सूनी डाल महकते फूल, महात्मा गांधी के ग्यारह व्रत, बापू वचन सुधा, महाकवि जानकीवल्लभ शास्त्री की गीत – कला और ‘स्मृति – सुगंध आदि इनकी उल्लेख्य गद्य रचनाएं हैं.

Check Also

कैलाश झा किंकर की जयंती पर कवि सम्मेलन आयोजित

कैलाश झा किंकर की जयंती पर कवि सम्मेलन आयोजित

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!