जिन्दगी का हिसाब दे दें क्या, आज उनको किताब दे दें क्या…
लाइव खगड़िया : “ज़िन्दगी का हिसाब दे दें क्या , आज उनको किताब दे दें क्या…राह में जो बिछा दिए कांटे, हाथ उनके गुलाब दे दें क्या”…
झमाझम बारिश के बीच साहित्य सृजन मंच के द्वारा खेल भवन में आयोजित कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह में रविवार की देर शाम तक तालियों की गड़गड़ाहट गूंजती रही. कवि सम्मेलन में जिला सहित कटिहार, बेगूसराय, मुंगेर, सहरसा, भागलपुर, दरभंगा, समस्तीपुर आदि जिले से आए दर्जनों कवियों ने हिंदी, अंगिका, मैथिली एवं बज्जिका भाषा में अपना काव्य पाठ प्रस्तुत किया. वहीं सम्मान समारोह और भव्य लोकार्पण कार्यक्रम भी आयोजित किया गया.
कार्यक्रम के पूर्व सृजन मंच के उपाध्यक्ष सह स्वागाताध्यक्ष नंद किशोर सिंह के द्वारा स्वागत गान एवं सचिव विनोद कुमार विक्की द्वारा अभिनंदन भाषण से मंचस्थ अतिथियों एवं उपस्थित कवियों का स्वागत किया. जबकि मुख्य अतिथि अनिरुद्ध सिन्हा के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ मंचस्थ अतिथियों के द्वारा सूर्य कुमार पासवान की पुस्तक “आ गया हूँ आज मैं” के लोकार्पण के साथ कार्यक्रम की शुरूआत हुई. इस अवसर पर वी पी ए पब्लिक विद्यालय पिपरा की बच्चियों के द्वारा मोहक स्वागत नृत्य प्रस्तुत किया गया. तत्पश्चात अनुपम सिंह के गाए सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का आगाज़ हुआ.
मौके पर ज्वाला सांध्य पुष्प, भावानंद सिंह प्रशांत, विकास कुमार, विकास कुमार विधाता, रूद्रदेव अकेला, ज्योति मानव, सुमन रवि पोद्दार की उम्दा गजलों ने बारिश की झमाझम के बीच तालियों की गड़गड़ाहट से कार्यक्रम में समां बांध दी. जबकि कवि सौरभ प्रभात ने गीत से श्रोताओं में राष्ट्रभक्ति की भावना का पुट भरा. साथ ही अवधेश्वर प्रसाद सिंह, महासचिव कविता परवाना, उपाध्यक्ष सुखनंदन बिहारी, सुनयना कुमारी, प्रो. चंद्रिका प्रसाद विभाकर, चंपा राय, अनिमा रानी, सुभाष चंद्र पासवान आदि दर्जनों कवियों ने अपनी रचनाओं पर तालियां बटोरी. सहरसा के कृष्ण क्रांति, मनोज कुमार झा शशि की मैथिली प्रस्तुति, सियाराम मयंक, विकास सोलंकी की गजल “ज़िन्दगी का हिसाब दे दें क्या आज उनको किताब दे दें क्या राह में जो बिछा दिए काँटे हाथ उनके गुलाब दे दें क्या” और अनिरुद्ध सिन्हा की गज़ल “पत्थर से मुहब्बत की बुनियाद रखते है” ने श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया. अंगिका रचनाओं में हीरा प्रसाद हरेंद्र, सुधीर कुमार प्रोग्रामर, उषा किरण साहा एवं संगीता चौरसिया की अंगिका रचना “ई छिकै न्याय के साथ विकास तखनिए सबटा जैन गेलै”, आत्मनिर्भरता पर कटाक्ष करती विनोद विक्की की लघु रचना “रोजगार मिलना बंद हुआ तो दिल्ली पंजाब मे कमा लेते है सरकारी ठेका बंद हुआ तो चोरका से काम चला लेते है”, स्वराक्षी की प्रस्तुति “हुआ कब है पगले किसी का जमाना अकेले ही पड़ता है जीवन बिताना” तथा विकास विधाता की “याद मुझको इक फ़साना आ गया यूँ नहीं लब पर तराना आ गया” ने श्रोताओं को खुब प्रभावित किया. जबकि मंच संचालक व मंच के संस्थापक शिवकुमार सुमन की पंक्ति “व्यर्थ कोशिशें हैं मुझे झुकाने की, मेरी आदत है टूट जाने की” पर भी श्रोताओं ने खुब आनंद लिया.
सम्मेलन में रतन राघव सांस्कृत्यायन, श्याम सुंदर, निशांत आर्य, आंनद भूषण श्रीवास्तव, राजेश मोदुआ, कवि झा, सोहन प्रसाद, प्रीति कुमारी, रामस्वरूप सहनी रोसड़ाई, अनिरुद्ध झा दिवाकर, प्रभाकर सिंह, अशोक कुमार चौधरी, उपेन्द्र कुमार, मनीष गुंज, प्रणेश कुमार, स्वराक्षी स्वरा की रचना ने श्रोताओं को खूब झुमाया. सम्मान सत्र के दौरान खगड़िया सहित मुंगेर, सहरसा, भागलपुर, दरभंगा, समस्तीपुर आदि जिले के कवियों का सम्मान किया गया. इस क्रम में साहित्य सृजन मंच के पदाधिकारियों में महासचिव कविता परवाना, अध्यक्ष अवधेश्वर सिंह, सचिव विनोद विक्की, उपाध्यक्ष संगीता चौरसिया आदि के द्वारा कवियों एवं छात्राओं को पुष्प माल,अंग वस्त्र, प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में मंच का संचालन शिवकुमार सुमन, स्वागत नंदकिशोर सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन सूर्य कुमार पासवान के द्वारा किया गया.