साहित्यकारों ने निभाई अपनी जिम्मेदारी, अब जिला प्रशासन की बारी
लाइव खगड़िया : जिले की 41वें स्थापना दिवस से ठीक एक दिन पहले जिला प्रशासन के द्वारा ‘मेरे सपनों का खगड़िया’ विषय पर रचना आमंत्रित किया गया था. बात अपने जिले की स्थापना दिवस जैसे महापर्व का था. ऐसे में जिले के साहित्यकारों ने बहुत ही कम समय में अपनी भावनाओं को शब्दों में पिरो कर रचनाओं का अंबार लगा दिया. जिला प्रशासन के द्वारा इन रचनाओं को काफी सराहा भी गया. ऐसे में स्थानीय साहित्यकारों को भी अपनी समस्याओं को रखने का एक मौका मिला और लगे हाथ उसने भी अपनी समस्याओं व मांगों से जिला प्रशासन को अवगत करा दिया. अब गेंद जिला प्रशासन के पाले में है. देखना दीगर होगा कि जिस संजीदगी से जिले के सहित्यकारों ने जिला प्रशासन की अपील को लिया, उतनी ही तत्परता से जिला प्रशासन भी मामले पर पहल करती है या फिर आश्वासन महज एक आश्वासन बन कर ही रह जाता है.
दरअसल स्थानीय कवयित्री स्वराक्षी स्वरा की रचना को भी जिलाधिकारी आलोक रंजन घोष ने काफी सराहा था. स्वराक्षी स्वरा वर्तमान में जिले के बेलदौर के मध्य विद्यालय हनुमान नगर में एक शिक्षिका के पद पर पदस्थापित हैं. साथ ही वे स्वरांजलि साहित्य सेवा समिति की संस्थापिका भी हैं. गुरूवार को उन्होंने खगड़िया के स्थापना दिवस पर जिले के साहित्यकारों की तरफ से जिलाधिकारी आलोक रंजन घोष को बधाई दी. साथ ही उन्होंने डीएम को अपनी पुस्तक ‘तिमिरांतिका‘ भेंट किया. वहीं उन्होंने साहित्यजनों की समस्याओं का उल्लेख करते हुए मांगों को लेकर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा. जिसमें जिले में कला भवन की स्थापना, कैलाश झा किंकर सम्मान की घोषणा, जिला स्तरीय साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन, साहित्यकारों के लिए जिला स्तरीय आवागमन पास निर्गत करना, पत्रिका का प्रकाशन, महिला साहित्यकारों के लिए रात्रि विश्राम की व्यवस्था सहित श्रेष्ठ रचनाकारों को पुस्तक प्रकाशन में सहयोग करने जैसी मांगें शामिल थी. मौके पर स्वरांजलि साहित्य सेवा समिति के कोषाध्यक्ष सावर्ण कवि झा, सदस्य रूबी मंडल मौजूद थे.
स्वराक्षी स्वरा की रचना पर एक नजर
चल रहा विकास पथ, सखी जिला खगड़िया
बढ़ रहा कदम-कदम सखी जिला खगड़िया ।।
उड़ान हौसलों में है, मन किरण उम्मीद की
जश्न जीत का मने, बिन दीवाली-ईद की
बेटियां भी चल रही, हक़ से डगर खगड़िया…
जैसे खेत में उगे, गेंहू-धान-मकइयाँ
वैसे साथ-साथ खाएं, खीर और सेवइयां
जाति-धर्म-द्वेष में, न फंस रहा खगड़िया …
भविष्य की छवि, अभी निखर रही,संवर रही
विश्वास और संकल्प से कठिन नहीं डगर कहीं
संकल्प का नित जयघोष, कर रहा खगड़िया…
दिन नहीं वो दूर जब,जगमग प्रकाश होगा
कुछ पापियों के पाप का, जल्द ही विनाश होगा
स्वरा शिक्षा रौशनी में, जल रहा खगड़िया…