…और गाजे-बाजे के साथ निकली बकड़े की अंतिम यात्रा,शाही दाह संस्कार
लाइव खगड़िया : कहा जाता है कि रिश्ते प्रेम व विश्वास के नाजुक डोर से बंधे होते है.परस्पर प्रेम का बंधन कायम नहीं रहा तो अपने भी बेगाने हो जाते है और प्रेम बनी रही तो मानव की तो छोड़िये जनाब…जानवर भी बेहद खास हो जाते है.प्यार-प्रेम व स्नेह का एक अलग नजारा गुरूवार को जिले के सदर प्रखंड के सन्हौली पंचायत के आवास बोर्ड गांव में दिखा.जहां एक बकड़े की मौत पर ना सिर्फ उन्हें ससम्मान अंतिम विदाई दी गई बल्कि उनके अंतिम यात्रा में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा.बताया जाता है कि बकड़ा वर्षों से स्थानीय भोला बाबा स्थान सहित गांव के इर्द-गिर्द ही रहता था और वक्त के साथ वो ग्रामीणों का प्यारा बन गया.बकड़ा गांव के बच्चों सहित ग्रामीणों का एक मनोरंजन का साधन भी था.खास कर वो बच्चों के लिए तो एक हंसी-ठिठोली का प्रयाय बन गया था.इसी बीच गुरूवार को एक वाहन की चपेट मे आने से बकड़े की मौत हो गई. हलांकि सड़कों पर किसी वाहन की चपेट में आने से एक जानवर के मौत की जिले में यह कोई पहली घटना नहीं थी.लेकिन बकड़ा गांववासियों के दिलों में अपनी एक अलग जगह बना चुका था.ऐसे में बकड़े की मौत की खबर से गांव में शोक की लहर दौड़ गई.आनन-फानन में ग्रामीणों ने उसका अंतिम संस्कार धूम-धाम से करने का निर्णय लिया.बकड़े की अंतिम संस्कार के लिए ग्रामीणों ने आपस में चंदा किया और फिर शाही अंदाज में बकड़े की अंतिम यात्रा कई वाहनों के साथ निकली.इस दौरान कफन से लेकर हर वो व्यवस्था की गई जो किसी इंसान के अंतिम संस्कार के दौरान की जाती है.बकड़े अंतिम यात्रा के दौरान स्थानीय परंपरा निर्गुण विधा गीत के माध्यम से शोक प्रकट करते हुए बड़ी सख्या में लोग शामिल हुए और मुंगेर घाट के तट पर गंगा नदी के किनारे हिन्दू रीती-रिवाज से उसका दाह संस्कार किया गया.इस दौरान वार्ड सदस्य रंजन कुमार,सुरेन्द्र यादव,संदीप कुमार सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे.बहरहाल एक बकड़े का गाजे-बाजे का साथ निकली अंतिम यात्रा व शाही दाह संस्कार जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है.
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