खगड़िया एसपी मीनू कुमारी के कार्यकाल का बेमिसाल दो साल…
लाइव खगड़िया : विकट भौगोलिक स्थिति के कारण फरकिया कहे जाने वाले जिले की कमान जब 2 मई 2017 को एक पुलिस कप्तान के रूप में 2010 बैच की एक महिला आईपीएस अधिकारी मीनू कुमारी ने संभाली थी तो क्षेत्र में कई तरह की चर्चाएं थी. लेकिन अपने कार्यकाल के चौथे दिन ही जिले के मोरकाही थाना क्षेत्र के एक ईट भट्ठे पर हुई लूटपाट की घटना के बाद पुलिस अधीक्षक का खुद घटनास्थल पर पहुंचकर पुलिस पदाधिकारियों को आवश्यक निर्देश देना उनकी कार्यशैली का इजहार कर गया था और साथ ही थम गई थी हर चर्चाएं. इसके बाद वर्ष दर वर्ष बीतता गया और एक पुलिस कप्तान के रूप मिली हर चुनौतियों का वे सफलतापूर्वक सामना करती गईं.
पुलिस अधीक्षक मीनू कुमारी जिले में अपने कार्यकाल का दूसरा वर्ष पूर्ण करने के मुहाने पर खड़ी हैं और 2 मई को वे अपने कार्यकाल के तीसरे वर्ष में प्रवेश कर जायेंगी. इस बीच वे जिस तरह से जिले में लोकतंत्र के महापर्व को भयमुक्त वातावरण में शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न करा गई हैं वो ऐतिहासिक रहा है. जो उनकी कार्यशैली व प्रशासनिक कौशलता को भी इंगित करता है. इस चुनाव का एक बेहद खास पहलू यह भी रहा है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी मतदाता बेफिक्र होकर मतदान के लिए निकले. जो पुलिस प्रशासन के प्रति लोगों में जगी विश्वास को भी दर्शा गया है. हलांकि पुलिस कप्तान के लिए जिले में यह कोई पहला चुनाव नहीं था. इसके पूर्व भी वे नगर निकाय चुनाव शांतिपूर्ण संपन्न करा चुकी थी. लेकिन निश्चय ही इस वर्ष के लोकसभा के चुनाव में विधि-व्यवस्था कायम रखना एक बड़ी चुनौती थी. जिसका सामना उन्होंने सफलतापूर्वक कर दिखाया.
लोकसभा चुनाव के दौरान मड़ैया में एसपी
लोकसभा चुनाव के दौरान अलौली में एसपी
लोकसभा चुनाव के दौरान मेहसौरी में…
लोकसभा चुनाव के दौरान रौंन के पिंक बूथ पर एसपी
एक पुलिस कप्तान के रूप में उनके कार्यकाल के सर्वाधिक चर्चाओं की यदि बात करें तो कार्यकाल के पहले वर्ष में जाड़े की एक रात करीब ढ़ाई बजे घने कुहासे को चीरते हुए महेशखुंट थाना क्षेत्र में एसपी का पहुंचना और वहां एनएच 31 पर गस्ती वाहन में खर्राटे ले रहे गस्ती दल के आधे दर्जन पुलिसकर्मियों को संस्पेंड कर देने का मामला खासा सुर्खियों में रहा था. इसके अतिरिक्त भी जब कभी भी पुलिसकर्मी पर कार्य में लापरवाही बरतने का मामला सामने आया वो कार्रवाई से पीछे नहीं रहीं. बात महज लिखित शिकायतों की ही नहीं बल्कि सोशल साइट से लेकर फोन कॉल पर भी एक्शन लेना उनकी आदतों में शुमार रहा है.
बीते वर्ष अगस्त में एक रोचक मामला सामने आया था जब पासपोर्ट सत्यापन के एवज में रिश्वत मांगे जाने की शिकायत भरी महज एक फोन कॉल पर एसपी खुद मीलों की दूरी तय कर चौथम थाना पहुंच गईं और मामले की जांच-पड़ताल के बाद दोषी पुलिसकर्मी पर ऑन द स्पॉट एक्शन ले लिया. एसपी मीनू कुमारी के नेतृत्व में बीते दो वर्षों के कार्यकाल के दौरान जिला पुलिस ने कई छोटी-बड़ी उपलब्धियां हासिल की. जिसमें कई नक्सलियों की गिरफ्तारी, मिनी गन फैक्ट्री, वाहन चोर गिरोह व हथियार तस्कर गैंग का उद्भेदन, हत्या, अपहरण व लूट आदि के कई पेचीदा व रहस्यमयी मामले का खुलासा आदि शामिल है. साथ ही जिला पुलिस का शराब की बरामदगी व तस्करों के गिरफ्तारी का अपना एक अलग रिकॉर्ड रहा है. हलांकि इस दौरान कर्तव्य पथ पर अपराधियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए जिले के एक बहादुर व जांबाज दारोगा आशीष कुमार को भी पुलिस महकमें को खोना पड़ा है. निश्चय ही उनकी शहादत पुलिसकर्मियों को कर्तव्य पथ पर डटे रहने का सदा प्रेरणा देता रहेगा.
उल्लेखनीय है कि फेम इंडिया मैगजीन-एशिया पोस्ट सर्वे में बिहार के 25 चर्चित आईपीएस अधिकारियों में जिले के वर्तमान पुलिस अधीक्षक मीनू कुमारी का नाम भी शामिल था और फेम इंडिया ने उन्हें वर्ष 2017 के विशेषांक में जगह दिया था. गौरतलब है कि अपराध नियंत्रण, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठता, मातहत से संबंध, छवि एवं कार्यकाल जैसे सात मुद्दों पर किये गये सर्वे में उन्हें उच्च रेंटिंग मिली थी. बहरहाल उस सर्वे की सत्यता पर जिले में उनका बेदाग व बेमिसाल दो वर्षो का कार्यकाल मुहर लगा गया है.