…और अभिजीत ने कर दिया था मटुकनाथ-जूली प्रेम प्रसंग को ऑन एयर
खगड़िया : जिले की मीडिया जगत में अपनी आक्रमक शैली के कारण चर्चाओं में रहने वाले दैनिक भास्कर के सीनियर रिपोर्टर अभिजीत सिन्हा का वैसे तो विवादों से जैसे चोली-दामन का साथ रहा है.लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि उनका बेखौफ अंदाज जाने-अनजाने उन्हें इस राह पर खड़ा कर देता रहा है.मीडिया के क्षेत्र में उन्होंने अपने कदम वर्ष 2004 में सीएनईबी नेशनल न्यूज चैनल,नोएडा में असिस्टेंट प्रोड्यूसर, इनपुट के तौर पर ऱखा था.इस बीच वर्ष 2006 में वे जीएनएन न्यूज,नोएडा में असिस्टेंट प्रोड्यूसर, इनपुट की जिम्मेदारी भी निभाई.वर्ष 2007 में अभिजीत पटना आ गये और रफ्तार टाइम्स न्यूज के बिहार ब्यूरो बने.लेकिन वर्ष 2008 में वे पुनः बिहार से बाहर गुड़गांव चले गये और वहां इंडिया न्यूज चैनल का हिस्सा रहे एक अखबार ‘आज समाज न्यूज’ के सीनियर रिपोर्टर की जिम्मेदारी ले ली.लेकिन वर्ष 2011 में उनकी सीएनईबी में पुनः वापसी हुई और वो नोएडा में प्रोड्यूसर,इनपुट बने.आखिरकार मीडिया के क्षेत्र में 10 सालों के एक लंबे सफर के बाद वर्ष 2014 में वे अपने गृह जिला खगड़िया में बतौर साधना न्यूज,बिहार-झारखंड के जिला संवाददाता के रूप में आये.जिसके बाद उन्होंने वर्ष 2015 में दैनिक सोनभद्र एक्सप्रेस के खगड़िया ब्यूरो इंचार्ज की कमान संभाल लिया.फिलहाल वो नवम्बर 2017 से दैनिक भास्कर खगड़िया में सीनियर रिपोर्टर की जिम्मेदारी निभा रहे हैं.
मीडिया के क्षेत्र में करीब 14 सालों के लंबे सफर में अभिजीत को आज भी वो पल याद है जब उन्होंने सीएनईबी में अपने कार्यकाल के दौरान इनपुट हेड के निर्देश की अवहेलना कर बिहार का चर्चित मटुकनाथ-जूली प्रेम प्रसंग के स्टोरी को आउटपुट हेड के द्वारा ऑन एअर करवा दिया था.जिसके बाद उन्हें सीएनईबी न्यूज चैनल के तत्कालीन चीफ एडिटर में खूब डांट भी पड़ी.लेकिन बाद में उसी दिन इंडिया टीवी ने भी इस खबर को ऑन एअर कर दिया और साथ ही साथ नेशनल मीडिया भी इस खबर पर टूट पड़ा.लेकिन इसके पूर्व ही इस खबर के माध्यम से सीएनईबी ने टीआरपी में एक लंबी छलांग लगा दी थी.जिसके बाद ना सिर्फ उन्हें सीएनईबी में एक नई पहचान मिली बल्कि खबरों के चयन के लिए उन्हें प्रधान संपादक ने अपनी जेब से एक कलम भी उपहार स्वरूप दिया.दिल्ली में ही उन्होंने सीएनईबी के इनपुट इंचार्य से स्टिंग ऑपरेशन की कला सीखी और आज भी उनका स्टिंग मीडिया में एक पसंदीदा क्षेत्र रहा है.जिसकी कुछ बानगी उन्होंने पिछले दिनों दैनिक भास्कर के वर्तमान कार्यकाल के दौरान भी दिखाई थी.
हलांकि वर्ष 2014 में अपने पिता के बायपास सर्जरी के बाद इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से उन्हें दूर होना और बीमार पिता की इच्छानुसार उन्हें दिल्ली को अलविदा कर खगड़िया आना पड़ा.यह अभिजीत के पत्रकारिता जीवन का सबसे कठिन वक्तों नें एक था.हलांकि वे खगड़िया आकर भी अपने आपको मीडिया जगत से अलग नहीं कर सके.बाबजूद इसके नेशनल मीडिया से दूर होना उन्हें आज भी खलता है.
अपने बेबाक व बेखौफ अंदाज के लिए सुर्खियां में रहने वाले अभिजीत जिले की पत्रकारिता जगत पर पूछे गये एक सवाल के जवाब में कहते हैं कि जिले के मीडियाकर्मी एक मंच पर आएं तो ही पत्रकार हित की बात हो सकती है.लेकिन जिले में कई संघ और संगठन हैं.बाबजूद इसके हमें इस बात का निश्चय ख्याल रखना चाहिए कि हम एक हैं और हमें एक-दूसरे की भावनाओं का कद्र करना चाहिए.वहीं वो व्यक्तिगत विवाद को परिवार से जोड़ने की कोशिश पर आहत भी दिखे.साथ ही उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में जिले को एक नया मुकाम हासिल होने की संभावना व्यक्त करते हुए कहा कि चंद पत्रकारों के कारण पत्रकारिता की छवि धूमिल हो रही है.बाबजूद इसके जिला पत्रकारिता के पथ पर एक नई मंजिल की ओर अग्रसर है.मौके पर उन्होंने खुद को भावुक बताते हुए कहा कि लोग उनके बारें में क्या सोचते हैं इसे वो तब्बजों नहीं देकर हमेशा आगे बढने की ललक के साथ पूराने वाद-विवाद को भूला देते रहे हैं.