नहीं रहे समाजवादी नेता पूर्व विधायक रामबहादुर आजाद,शेष रह गईं यादें…
लाइव खगड़िया (मनीष/मुकेश) : संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से दो बार वर्ष 1967 एवं 1969 में खगड़िया विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे समाजवादी नेता रामबहादुर आजाद शनिवार को स्थानीय जय प्रकाश नगर स्थित अपने आवास पर अपनी अंतिम सांसें ली.करीब 85 वर्ष की उम्र में गणतंत्र दिवस के दिन वे इस दुनिया को छोड़कर चले गये.जीवन के अंतिम पल तक अपने उसूलों व सिद्धांतों से समझौता नहीं करने वाले प्रख्यात समाजवादी नेता का भले ही उम्र के एक पड़ाव पर आकर आंख व कान जवाब देने लगा था,लेकिन उनकी स्मरण शक्ति व इच्छा शक्ति का कोई सानी नहीं था.जीवन के अंतिम वक्त तक उन्हें देश,दुनिया व समाज की चिंता रही.समाज और राष्ट्र के लिए अपना तमाम जिन्दगी न्योक्षावर कर देने वाले खांटी समाजवादी नेता राष्ट्रीय पर्व के दिन ही विदा हो गये और शेष रह गईं बस उनकी यादें…
सोशलिस्ट पार्टी का कार्यालय साफ करने के दौरान बढ़ी राजनीति में दिलचस्पी
दिवंगत नेता रामबहादुर आजाद का राजनीति से नजदीकियां 1940/50 के दशक में सोशलिस्ट पार्टी के खगड़िया स्थित अनुमंडलस्तरीय कार्यालय में साफ-सफाई से बढ़ी थी.बाद के दिनों में उन्हें पार्टी का पर्चा-पोस्टर बांटने की जिम्मेदारी मिली.इस दौरान उन्हें पार्टी के नेताओं के साथ उठने-बैठने का अवसर मिला.साल-दो साल बाद उन्हें पार्टी की किताबें और अखबार बेचने की जिम्मेदारी सौंपी गई. इस बीच उनपर जेपी व लोहिया के विचारों का प्रभाव पड़ना शुरू हो चुका था.ऐसे में वर्ष 1950 में उन्होंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर लिया और उसके बाद उन्हें पार्टी के मुंगेर जिला सचिव की जिम्मेदारी मिली.जिसके उपरांत उन्होंने मुंगेर में पार्टी का कार्यालय खोला और संगठन को अपना पूरा वक्त देने लगे.
1962 में पहली बार लड़े थे चुनाव
वर्ष 1962 में सोशलिस्ट पार्टी से उन्हें टिकट दिया और वे चुनावी मैदान में कूद पड़े.लेकिन उन्हें करीब 2 हजार मतों से अपने प्रतिद्वंद्वी केदार नारायण सिंह से चुनाव हारना पड़ा था.
1967 में पहली बार बने विधायक,1969 में भी जारी रहा जीत का सिलसिला
वर्ष 1967 के चुनाव में वे एक बार फिर खगड़िया से सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार बनाये गये और करीब 44 हजार के बड़े अंतर से जीत हासिल कर पहली बार विधान सभा पहुंचे.जबकि 1969 में हुए मध्यावर्ती चुनाव में एक बार फिर वे लगभग 33 हजार से चुनाव में जीत का डंका बजा दिया.
चुनावी सभा में भीड़ देकर चौंक गये थे लोहिया
1969 में रामबहादुर आजाद को जब पुनः खगड़िया से सोशलिस्ट पार्टी का टिकट मिला तो डॉ.राम मनोहर लोहिया को चुनावी सभा के लिए आमंत्रित किया गया.जब लोहिया रामबहादुर आजाद के जनसभा में पहुंचे तो वहां मौजूद भीड़ को देखकर चौंक गये और भरी सभा में ही उन्होंने जनता की सहमति से रामबहादुर आजाद को जीत की माला पहना दी थी.बाद में उनकी जीत पर जनता की भी मुहर लग गई.
जब डॉ.लोहिया जेल पहुंचे थे उनसे मिलने मिठाई लेकर
दिवंगत पूर्व विधायक रामबहादुर आजाद का प्रखर समाजवादी नेता डॉ.राम मनोहर लोहिया राजनीतिक गुरू रहे थे और उन्हीं के निर्देश पर उन्होंने वर्ष 1952 में बटाईदारी के खिलाफ बकास आंदोलन लड़ा था.इस क्रम में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था.बताया जाता है कि उस वक्त डॉ.लोहिया उनसे मिलने मुंगेर जेल पहुंचे थे.लेकिन जेल प्रशासन ने लोहिया को आजाद से नहीं मिलने दिया.ऐसे में लोहिया जेल के सामने ही धरना पर बैठ गये और सत्याग्रह शुरू कर दी.जिसके उपरांत लोहिया को आजाद से मिलने की इजाजत दी गई.उस वक्त लोहिया अपने संग आजाद के लिए मिठाई लेकर आये थे.