Breaking News

नई उम्मीदों का युवराज,खगड़िया के आनंदवर्धन की मखमली आवाज




लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) :  संगीत का महत्त्व आधुनिक समय में निर्विवाद रूप से स्थापित हो चुका है.संगीत के माध्यम से मानसिक रूप से स्वस्थ रहा जा सकता है और वो संगीत ही है जो समाज के हर वर्ग को बिना भेद-भाव के लाभ पहुंचा सकता है.बात यदि संगीत की होती है तो शास्त्रीय संगीत को कतई नहीं भूला जा सकता है.जिसे की संगीत का आधार माना जाता है और शास्त्रीय संगीत के बगैर संगीत की कल्पना नहीं की जा सकती है.

बातें यदि युवा संगीतज्ञ की होती है तो जिले के परबत्ता प्रखंड के सियादतपुर अगुवानी पंचायत के अगुवानी डुमरिया निवासी प्रसिद्ध संगीतज्ञ डॉ.अजय राय के 28 वर्षीय पुत्र आनंदवर्धन की चर्चा लाजिमी है.संगीत से विश्वभारती विश्वविद्यालय शान्तिनिकेतन,पश्चिम बंगाल से पी.एच.डी. कर रहे आनंदवर्धन ने साहित्यिक संगीत में अपनी एक अलग पहचान बना ली है.वे संगीत में बी.मियूज़, एम.मियूज़, एम.फ़िल की डिग्री भी प्राप्त कर चुके है.संत तुलसी दास एवं कबीर के पद को कम्पोज कर जब वो अपनी मखमली आवाज को साज के साथ सजाते हैं तो संगीत की महफिल जवां हो जाती है.

रविन्द्र संगीत पर अच्छी पकड़ रखने वाले आनंदवर्धन हिन्दी के साथ-साथ बंगला एवं अंग्रेजी में गायन करते है.आनंदवर्धन का  गायन आकाशवाणी, विश्वभारती  एवं  दूरदर्शन से अक्सर ही प्रसारित होता रहता है.उन्होंने ख्याल गायन में नेशनल स्कॉलरशीप भी मिला है.

अपनी मां प्रो.मंजू रानी को अपना आदर्श मानने वाले आनंदवर्धन फिलहाल विश्वभारती विश्वविद्यालय शान्तिनिकेतन पश्चिम बंगाल में कार्यरत हैं.शिक्षिका मधुमिता राय,संगीतज्ञ प्रो.रणजीत दास,पंडित मनजीत मल्लीक,पंडित बुद्धदेव दास को गुरू मानने वाले आनंदवर्धन को विश्वभारती विश्वविद्यालय शान्तिनिकेतन पश्चिम बंगाल से ख्याल गायन एवं सुगम संगीत में प्रथम स्थान प्राप्त करने का गौरव मिल चुका है.

आनंदवर्धन को ए.आर. रहमान व जगजीत सिंह की म्युजिक काफी पसंद है और गजल,भजन,फिल्मी गीत सहित अपने संगीतज्ञ पिताजी के साहित्यिक संगीत के गायन का बेहद शौक है.साथ ही वो साहित्यिक.संगीत को जन-जन तक पहुंचाने को भी कृतसंकल्पित हैं.उनका मानना है कि साहित्यिक संगीत को लोग भूलते जा रहे हैं.जबकि भारतीय संगीत में साहित्यिक संगीत को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.

सुन भी लें आनंदवर्धन को…

उल्लेखनीय है कि आनंदवर्धन के पिता डॉ.अजय राय देश के एकलौते संगीतज्ञ व गायक हैं जिन्होंने हिन्दी साहित्य के सुप्रसिद्ध कवियों की कविताओं को लयबद्ध व संगीतबद्ध कर उन्हें अपना स्वर दिया है.बहरहाल आनंदवर्धन अपने पिता के राह पर चलकर संगीत की दुनियां में नित्य नई ऊंचाईयों को छूते जा रहे हैं.निश्चय ही यह ना सिर्फ़ एक संगीतज्ञ परिवार के लिए बल्कि जिले के लिए भी एक गौरव की बात है.



Check Also

1957 शिक्षकों को मिला विशिष्ट शिक्षक का औपबंधिक नियुक्ति पत्र

1957 शिक्षकों को मिला विशिष्ट शिक्षक का औपबंधिक नियुक्ति पत्र

error: Content is protected !!