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बिशौनी में मां के मंदिर का पट खुलते ही उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : सोमवार की शाम शंख,घंटे एवं जय माता दी की घोष के साथ माँ दुर्गा की प्रतिमा को पिंडी पर विराजमान कर परबत्ता के प्रसिद्ध अतिप्राचीन सिद्ध पीठ चतुर्भुजी दुर्गा मंदिर बिशौनी का पट दर्शन के लिए खोल दिया गया.मंदिर का पट खुलते ही माँ चतुर्भुजी दुर्गा के दर्शन के लिये जन सैलाब उमड़ पड़ी.वहीं घंटों हुई माँ की जयकार से वातावरण पूर्ण रूप से भक्तिमय हो उठा और उसके बाद संध्या पूजन किया गया.संध्या पूजन में महिला श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर में काफ़ी देखी गई.इस दौरान माँ की पूजा अर्चना से माहौल भक्ति मय बना हुआ है.

उल्लेखनीय है कि सिद्ध शक्ति पीठ चतुर्भुजी दुर्गा मंदिर बिशौनी में षष्ठी के दिन ही मंदिर का पट खोलने की परंपरा सदियों से रही है.वहीं कल माँ के सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा होगी.दुर्गा सप्तशती का श्लोक से वातावरण भक्तिमय बना हुआ हैं. माँ दुर्गा की प्रतिमा पिंडी पर विराजमान होने के बाद पूजा पाठ की विधि विधान बढ़ जाती हैं.

मंगलवार को सप्तमी के दिन माँ को महास्नान कराया जाएगा तथा रात में निशा पूजा का आयोजन की परंपरा है.मंदिर के मुख्य पुजारी के देख रेख में निशा पूजा का आयोजन किया जाना है.इस पूजन में अन्य धार्मिक क्रिया कलाप जैसे काले कबूतर व काले छागड़ की बलि दी जाती है.पूजा की शुरुआत रात्रि बारह बजे होती है,जो अगले दो घंटे तक चलती है.ऐसी मान्यता है कि इस पूजन को देखने मात्र से मनोकामनाएँ पूर्ण होती है तथा माँ का आशीर्वाद मिल जाता है.इस पूजा को देखने के लिये प्रतिवर्ष काफी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में जुटते हैं.कहा जा ता है कि माँ जिस भक्त पर प्रसन्न होती हैं उसे ही निशा पूजा देखने का सौभाग्य प्राप्त होता है.जिन पर माँ की कृपा नहीं होती है, वे पूजा शुरु होने तक स्वयं को रोक नहीं सकते हैं और निद्रा के आगोश में चले जाते हैं.पूजा के समापन पर भक्तों को प्रसाद दिया जाता है.इस प्रसाद को प्राप्त करने वालों को उसी समय बिना रुके अपने घर जाना पड़ता है तथा उसे प्रसाद देना पड़ता है जिसके लिये मन्नत माँगी गयी है.निशा पूजा देखने एवं प्रसाद प्राप्त करने के चमत्कारिक परिणामों के दर्जनों किस्से इलाके के सुने व सुनाये जा रहे हैं.

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