…और विसर्जन के वक्त प्रतिमा हिल भी नहीं सकी
लाइव खगड़िया : जिले के संसारपुर स्थित मां दुर्गा मंदिर की स्थापना के बारे में एक अद्भुत किस्सा प्रचलित है. स्थानीय ग्रामिणों के अनुसार बुजुर्गों से सुना जाता रहा है कि गांव में एक कुम्हार रहता था, जो एक मुर्तिकार भी था. शारदीय नवरात्र में वो ही अपने घर पर स्वयं की बनाई हुई मां दुर्गा की प्रतिमा का हर वर्ष विधिवत पूजा-अर्चणा किया करता था. ऐसा कई वर्षों तक चलता रहा.
लेकिन एक वर्ष ऐसा हुआ कि विसर्जन के दिन जब मां के प्रतिमा को उक्त भक्त द्वारा उठाया जाने लगा तो प्रतिमा का उठना तो दूर वो हिल भी नहीं सकी.यह बात गांव भर में फैल गई और देखते ही देखते वहां ग्रामिणों की भीड़ जमा हो गई. ग्रामीणों के सहयोग से भी प्रतिमा को विसर्जन के लिए उठाने का प्रयास किया गया.लेकिन फिर भी उन्हें सफलता नहीं मिली. ऐसे में लोगों द्वारा एक साथ मां दुर्गा से प्रार्थना की गई और गांव के आस-पास स्थायी मंदिर निर्माण करवानें की रजामंदी भी ग्रामीणों के बीच बनी. इसके उपरांत ही मुर्ति का विसर्जन संभव हो पाया. बाद के दिनों में सामुहिक रूप से मंदिर का निर्माण कराया गया और नित्य यहां मां की पूजा होने लगी.