लाइव खगड़िया : 10 सितंबर के भारत बंद को सफल बनाने के मद्देनजर शुक्रवार को सीपीआई कार्यालय योगेन्द्र भवन में प्रभाशंकर सिंह की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया गया.मौके पर उपस्थित विभिन्न दलों के नेताओ ने कहा कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें रिकॉर्ड तोड़ रही हैं.जिससे किसानों की कमर टूट गई है. लेकिन सरकार बढ़ी एक्साइज ड्यूटी को कम करने को तैयार नहीं है.वहीं बताया गया बीजेपी की केंद्र सरकार और उसकी राज्य सरकारें अगर अपने टैक्स में ही कमी कर दें तो पेट्रोल के दाम आधे किये जा सकते हैं और इस स्थिति का मुकाबला किया जा सकता है.लेकिन सरकार ऐसा करने का कोई इरादा नहीं है. जिसके कारण आम आदमी परेशान हो रहा है.वहीं नेताओं ने कहा कि कहा कि जब पीएम नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभाली थी तो उस समय पेट्रोल का दाम 51.78 रुपये के लगभग था. जो कि आज लगभग 86 रु तक पहुंच गया है.इसी तरह डीजल की कीमतें 44.40 रुपये से बढ कर 77 रुपये तक जा पहुंची है.इस बीच मोदी सरकार सत्ता में आने के बाद से अब तक बारह बार पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा किया है.साथ ही गैस की कीमत मनमोहन सिंह के शासनकाल में 420 रु थी.जो कि अभी 902 रु में मिल रहा है.इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार किसके हित में काम कर रही है.एक तरफ सरकार देश की जनता की गाढ़ी कमाई को टैक्स के रुप में वसूल रही है.वहीं पेट्रोल को लगभग 15 देशों को लगभग आधी कीमत पर बेचा जा रहा है. पेट्रोल के दामों में वृद्धि तब हो रही है जब क्रूड ऑयल का दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगभग 75 डॉलर प्रति बैरल पर है.जबकि मनमोहन सिंह की सरकार में क्रूड ऑयल 60 डॉलर प्रति बैरल होने के बावजूद पेट्रोल की कीमतें 60 रुपये तक भी नहीं जाने दिया गया था.वहीं वक्ताओं ने कहा कि राफेल विमान खरीद घोटाला की जांच कराने संबंधित अन्य कई सवालों को लेकर बंद को सफल बनाया जाएगा.मौके पर सीपीआई के जिला सचिव प्रभाकर,सीपीआई(एम) नेता सुरेंद्र महतों, माले के जिला संयोजक अरुण यादव,राजद जिलाध्यक्ष संजीव यादव,प्रमोद यादव, एसयूसीआई नेता जितेंद्र कुमार, हम के जिलाध्यक्ष संजय यादव, स्वराज अभियान के जिलाध्यक्ष विजय सिंह,कांग्रेस जिला प्रवक्ता अरुण कुमार, छात्रनेता अभिषेक विद्रोही,दीपक कुमार दीपक आदि मौजूद थे.
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