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फुटबॉल के इस दीवाने ने खेल के लिए शादी से कर लिया तौबा

लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : फीफा फुटबॉल विश्व कप के हलचल के बीच जिले के खेल प्रशंसकों के बीच फुटबॉल की चर्चाएं व्याप्त हैं.इसी दौरान लोगों की जुबान पर स्थानीय एक फुटबॉलर का नाम बरबस ही आ जाता है.जिले के परबत्ता प्रखंड के कोलवारा निवासी 65 वर्षीय फुटबॉलर कमलेश्वरी मंडल भले ही आज मैदान में गोल दागते हुए दिखाई नहीं दे रहें हों लेकिन फुटबॉल के प्रति उनकी दीवानगी आज भी कायम है.इन दिनों वे स्थानीय युवाओ को फुटबॉल खेल के प्रति जागरुक करते हुए उन्हें प्रशिक्षण दे रहे हैं.बताया जाता है कि उनसे प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत करीब दो दर्जन युवाओं को थल सेना, बिहार पुलिस, सीआरपीएफ, आरपीएफ, रेलवे  आदि में नौकरी खेल के माध्यम से मिल चुकी है.अपने जमाने में फुटबॉल के हरफनमौल खिलाड़ी रहे कमलेश्वरी मंडल का जन्म सूदूरवर्ती कोलवारा गांव में 20 जून 1952 को एक साधारण किसान परिवार में हुआ था.बचपन से ही फुटबॉल के प्रति उनका लगाव रहा था.साथ ही उन्होंने राजकृत जगन्नाथ राम उच्च विद्यालय सलारपुर से मैट्रीक एवं कबीर मोती दर्शन महाविद्यालय परबत्ता से इंटर करने के उपरांत भागलपुर से आईटीआई किया.वर्ष 1967 के आस-पास का वो दौर था जब फुटबॉल के मैदान में उनका जलबा सिर आंखों चढ कर बोलता था. इसी वर्ष उन्होंने पीडब्लू हाई स्कूल के मैदान में एक जिलास्तरीय प्रतियोगिता में लौआगढी मुंगेर के खिलाफ हैट्रीक गोल दाग कर धूम मचा दी थी.वक्त के साथ वो राज्य के कई अन्य फुटबॉल टीम के साथ अतिथि खिलाड़ी के रूप में जुड़े और हर टीम में उन्होंने अपनी सार्थकता बखूबी साबित किया.इसी क्रम में नेपाल के मैदान में आयोजित एक प्रतियोगिता में दर्शकों को उनकी शॉट देखकर दांतों तले अपनी उंगलिया दबानी पड़ी.कहा जाता है कि कलमेश्वरी मंडल जब भी मैदान में उतरते थे तो फुटबॉल का गेंद उनके पैरो के आस-पास ही रहता था और उनसे गेंद प्राप्त करने में विपक्षी खिलाड़ियों के पसीने छूट जाया करते थे.मैदान के किसी कोने से लगाए गये उनके शॉट यदि गोलकीपर रोक सके तो ठीक वर्ना गेंद तीव्र गति से गोलपोस्ट के पार ही पहुंचती थी.साथ ही उनकी चतुरता व गति के विरोधी भी कायल हुआ करते थे.उम्र के एक मोड़ पर आकर भी फुटबॉल के प्रति उनकी दीवानगी कभी कम नहीं हुई.वक्त के साथ वो मैदान में रेफरी की भूमिका में नजर आने लगे.पतले,दूबले एवं फुर्तीले शरीर के मालिक कमलेश्वरी मंडल हर भूमिका में अलग ही नजर आते रहे.फुटबॉल के क्षेत्र में कई पुरस्कार से सम्मानित ऑलराउंडर फुटबॉलर कमलेश्वरी मंडल तीन दशक पूर्व का जिक्र करते हुए बतातें हैं कि उन दिनों फुटबॉल का मैच खेलने के लिए अपने पिताजी व प्रशंसकों के साथ बैलगाड़ी से एक दिन पूर्व ही घर से निकलना पड़ता था.ताकि तय वक्त पर मैदान पर पहुंचा जा सके.फुटबॉल के इस दीवाने को आज भी अफसोस है कि फुटबॉल के प्रति सरकार की उदासीनता के कारण उन्हें राज्य व देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका नही मिला.फुटबॉल के प्रति उनकी दीवानगी का आलम यह रहा कि खेल में कहीं खलल ना पड़ जाये इसी वजह से उन्होंने शादी ही नहीं की.उस वक्त वो तीन घंटे लगातार मैदान में दौड़ लगाते थे.हलांकि तीन दशक पूर्व उन्हे आईटीआई के माध्यम से नौकरी का अवसर भी प्राप्त हुआ था.लेकिन कम तनख्वाह व खेल के प्रति प्रेम की वजह से उन्होंने नौकरी छोड़ दी.बहरहाल कमलेश्वरी मंडल इन दिनों कोलवारा फुटबॉल क्लब टीम में रेफरी की भूमिका अदा करने के साथ ही युवाओ को फुटबॉल खेल की बारीकियां भी सीखा रहे हैं.

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