चुनावी राजनीति में रालोसपा के लिए तुरूप का पत्ता साबित हो सकते हैं ई.धर्मेन्द्र
खगड़िया : जिले के लिए यह दुर्भाग्य ही रहा है कि हाल के वर्षों में जब कभी किसी चर्चित समाजसेवकों ने चुनावी राजनीति में अपनी किस्मत आजमाने की कोशिश की है तो उन्हें विफलता ही हाथ लगी है.ऐसे ही कुछ समाजसेवकों की सूची में एक नाम ई.धर्मेन्द्र का भी रहा है.जिले में विभिन्न सामाजिक मुद्दे को लेकर उनके द्वारा किये गये संघर्ष की अपनी गाथा है.संघर्ष के स्वर्णिम काल के दौरान ही उन्होंने वर्ष 2005 व 2010 के चुनावों में खगड़िया विधान-सभा क्षेत्र से निर्दलिय प्रत्याशी के तौर पर अपना भाग्य आजमाया था.लेकिन वो राजनीति में फल-फूल रहे जाति व पार्टी की दीवार तोड़ने में असफल रहे और इन चुनावों में उन्हें सफलता नहीं मिल सकी.जिसके उपरांत वो भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना की मुहिम में शामिल हो गये.इस बीच आम आदमी पार्टी के गठन के साथ उन्होंने केन्द्र व बिहार के राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई.लेकिन पार्टी के वरीय नेताओं की आपसी फूट के बीच पार्टी की टूट के साथ ही उन्होंने खुद को ‘आप’ से अलग कर लिया.यह वर्ष 2015 का वक्त था और इसके साथ ही ई.धर्मेन्द्र जिले की सक्रिय राजनीतिक पटल से लगभग गायब हो गये.हलांकि इस बीच वक्त-बेवक्त वो विभिन्न सामाजिक कार्यक्रम व आन्दोलन में नजर आते रहे.लेकिन इन कार्यक्रमों में उनकी पूर्व जैसी सक्रियता नहीं दिखी.करीब दो वर्षों के एक लंबे इंतजार को बाद उन्होंने बुधवार को स्थानीय टाऊन हॉल में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह केन्द्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा की मौजूदगी में अपने समर्थकों के साथ रालोसपा में शामिल हो गए.साथ ही जिले की राजनीति हलचल भी तेज हो गई.राजनीतिक गलियारें में चर्चाएं तेज रही कि ई.धर्मेन्द्र का रालोसपा में शामिल होना प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जिले की चुनावी राजनीति को प्रभावित करेगा.बहरहाल प्रदेश व देश की बनती-बिगड़ती गठबंधन के राजनीतिक हालात में रालोसपा आगामी चुनाव में कहां खड़ी नजर आती है यह देखना दीगर होगा.लेकिन राजनीतिक गलियारें में चल रही चर्चाओं पर यदि विश्वास करें तो गठबंधन की राजनीतिक में पार्टी के वोट बैंक और ई.धर्मेन्द्र के आधार मतों के साथ जातीय समीकरण के आधार पर रालोसपा को ई.धर्मेन्द्र के रूप में एक ऐसा तुरूप का पत्ता मिल गया है.जिसपर आगामी चुनाव में पार्टी अपना दांव लगा सकती है.
यह भी पढें : बिहार बंद की सफलता के लिए जाप की मुहिम तेज,चलाया जनसंपर्क अभियान