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6 जून 1981 की घटना को याद कर आज भी कांप जाती है रूह




लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : ट्रेन एक पुल से गुजर रही थी और बाहर तेज बारिश थमने का नाम नहीं ले रहा था. यात्रा के दौरान यात्री विभिन्न तरीके से वक्त काट रहे थे. कोई बातचीत में व्यस्त था तो कोई मूंगफली खा रहा था. कोई अपने रोते बच्चों को शांत कर रहा था तो कोई अखबार के पन्नों में खोया हुआ था. तभी ड्राइवर ने अचानक से ट्रेन का ब्रेक लगाया और ट्रेन ट्रैक से फिसलती हुई पुल तोड़कर लबालब नदी में जाकर विलीन हो गई. 6 जून 1981 का वो दिन इतिहास के पन्नों पर दर्ज है और घटना की याद आते ही आज भी रूह कांप जाती है. देश के इस बड़े रेल हादसे में करीब 800 लोग एक झटके में काल के गाल में समा गए थे.




घटना जिले के मानसी-सहरसा रेलखंड के बदलाघाट के पुल नंबर 51 पर का था. जिसमें पुल पार करते वक्त पैसेंजर ट्रेन की सात बॉगियां पुल से गिरकर बागमती नदी में समा गई थी. हादसे में प्रारंभिक तौर पर 300 लोगों के मौत का अनुमान लगाया जा रहा था. लेकिन कई लोगों का शव कई दिनों तक बोगियों में फंसा रहा था और बाद में यह आंकड़ा 800 के करीब पहुंच गया था.

हालांकि ड्राइवर ने अचानक ब्रेक क्यों लगाया था, इसका खुलासा नहीं हो पाया है. कुछ लोग कहते हैं कि जब ट्रेन बागमती नदी के पुल को पार कर रही थी तभी ट्रैक पर गाय आ गयी थी. जिसे बचाने के चक्कर में ड्राइवर ने ब्रेक लगाया होगा. जबकि कुछ लोगों का कहना है कि बारिश तेज थी जिसके कारण यात्रियों ने ट्रेन की सभी खिड़कियों को बंद कर दिया था. ऐसे में तेज तूफान की वजह से पूरा दबाव ट्रेन पर पड़ा और बोगियां नदी में समा गयी. बहरहाल वजह चाहे जो भी रहा हो लेकिन आज भी उस दिन को याद कर शरीर सिहर उठता है.

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