Site icon Live Khagaria

सुशांत यादव : चुनावी राजनीति में मचा सकते हैं हलचल,चर्चाएं तेज




लाइव खगड़िया : लोकसभा चुनाव की डुगडुगी बजने ही वाली है और इसके पूर्व विभिन्न राजनीतिक दलों के द्वारा चुनावी अखाड़ा के लिए पहलवानों के चयन की कवायद भी चरम पर है.हलांकि अबतक किसी भी गठबंधन ने अधिकारिक रूप से अपने पहलवानों के नामों की घोषणा नहीं की है.लेकिन राजनीतिक गलियारे में संभावित पहलवानों पर चर्चाएं तेज है.ऐसे ही कुछ पहलवानों की फेहरिस्त में एक नाम सुशांत यादव का भी आ रहा है.हलांकि सुशांत यादव फिलहाल जदयू में हैं.लेकिन एनडीए में खगड़िया संसदीय सीट लोजपा कोटे में जाने की चर्चाओं और वर्तमान लोजपा सांसद चौधरी महबूब अली कैसर की उम्मीदवारी लोजपा से धूमिल होने की संभावनाओं के बीच कभी युवा लोजपा की कमान संभालने वाले सुशांत यादव के नाम पर भी चर्चाएं तेज हो रही है.

उल्लेखनीय है कि विगत विधानसभा चुनाव के वक्त पार्टी के टिकट वितरण प्रणाली से नाराज युवा लोजपा के तत्कालीन जिलाध्यक्ष सुशांत यादव ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और बाद में उन्होंने जदयू की सदस्यता ग्रहण कर लिया.वर्ष 2015 के चुनाव में एनडीए के घटक दलों में से खगड़िया की सीट ‘हम’ एवं बेलदौर की सीट ‘लोजपा’ के कोटे में रही थी और सुशांत की चाहत इन दोनों में से किसी एक सीट पर से चुनावी मैदान में उतरने की थी.लेकिन लोजपा के हिस्से में आई बेलदौर की सीट पर से पार्टी सुप्रिमों के द्वारा मिथिलेश कुमार निषाद को मैदान में उतारने से सुशांत यादव भड़क गये थे.साथ ही उस चुनाव में लोजपा प्रत्याशी को भी हार का मुंह देखना पड़ा था.

इसके पूर्व वर्ष 2010 के चुनाव में लोजपा ने सुशांत यादव की मां सुशीला देवी (अब दिवंगत) को खगड़िया से पार्टी उम्मीदवार बनाया था.हलांकि उस चुनाव में उन्हें सफलता नहीं मिली.लेकिन उसके बाद सुशांत लोजपा के ही होकर रह गये थे और इस दौरान संगठन के कई महत्वपूर्ण गतिविधियों में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी.वो वक्त लोजपा सुप्रिमों राम विलास पासवान सहित पासवान फैमिली के राजनीतिक जीवन का सबसे कठिनतम दौरों में से एक माना जा रहा था.बाबजूद इसके सुशांत द्वारा पार्टीं के झंडे को बुलंद किया जाता रहा.लेकिन विगत विधान सभा चुनाव में लोजपा नेतृत्व द्वारा पार्टी कार्यकर्ताओं को तहरीज नहीं दिये जाने के बाद सुशांत ने अपनी राहें बदल ली.हलांकि इस बीच त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में उन्होंने अपनी पत्नी कुमारी श्वेता भारती को जिला परिषद अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज कर जिले की राजनीति में अपनी धमक छोड़ने में कामयाब रहे थे.

बहरहाल सूत्र बताते हैं कि चुनावी राजनीति की चाहत रखने वाले सुशांत यादव की नजरें एनडीए के जदयू व लोजपा जैसे दोनों ही घटक दलों पर है.पिछले दिनों प्रशांत किशोर से उनकी मुलाकात को उम्मदवारी के नजरिये से ही देखा जा रहा है.दूसरी तरफ टिकट के साथ लोजपा में सुशांत यादव के लौट आने की संभावनाओं से भी इंकार नहीं किया जा रहा है.हलांकि लोजपा से उम्मदवारी की रेस में रेणु कुशवाहा के नाम सहित कुछ और नामों पर भी चर्चाएं तेज है और बहुत कुछ जातिय समीकरण के आधार पर निर्भर होने की संभावनाओं से भी इंकार नहीं किया जा रहा है.



Exit mobile version