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शरद पूर्णिमा : श्रीराम मंदिर में विशेष पूजन, लगा श्वेत व्यंजन का भोग

लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : जिले में शरद पूर्णिमा श्रद्धा व भक्ति के साथ मनाया गया. शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. श्री शिवशक्ति योग पीठ नवगछिया के पीठाधीश्वर परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने बताया है कि शास्त्रों के अनुसार पूरे वर्ष में केवल इसी दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से पूर्ण होता है और इससे निकलने वाली किरणें अमृत समान मानी जाती है. शरद पूर्णिमा की रात्रि को दूध की खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है. मान्यता है कि चंद्रमा की किरणें खीर में पड़ने से यह कई गुना गुणकारी और लाभकारी हो जाता है. उन्होंने बताया कि श्री शिवशक्ति योग पीठ  नवगछिया में  परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज के निर्देशन में  देवपूजन, आरती, संत्संग, भजन व कीर्तन का आयोजन किया गया.

जिले के परबत्ता प्रखंड के अतिप्राचीन भगवान श्री राम मंदिर में पुरानी परंपरा के तहत शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर  शाम को विशेष पूजन के साथ श्वेत व्यंजन का भोग लगाया गया. वहीं आरएसएस के मुंगेर एवं पटना नगर बौद्धिक प्रमुख खजरैठा निवासी नवीन चन्द्र राय के द्वारा ग्रामीणों के बीच चांदनी रात में खीर का वितरण किया गया.

कल से होगा कार्तिक स्नान प्रारंभ

हिंदी पंचांग के अनुसार “कार्तिक मास” वर्ष का आठवां महीन होता है और कार्तिक स्नान सोमवार से प्रारंभ हो रहा है. कार्तिक मास को धार्मिक दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. कार्तिक मास का पुण्यकाल अश्विन शुक्ल पूर्णिमा अर्थात शरद पूर्णिमा से ही आरंभ हो जाता है और अश्विन पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा तक ये एक माह सांसारिक विषयों का त्याग करके धर्म के कार्यों में व्यतीत किया जाता है. कार्तिक मास भगवान विष्णु के अवतार का महीना माना जाता है. क्योंकि इस मास में करवा चौथ, हनुमान जयंती, दीपावली, छठ, चित्रगुप्त पूजा, काली पूजा, गोवर्धन पूजा, भैया दूज, कार्तिक पूजा, आंवला नवमी आदि विशिष्ट त्यौहार होते हैं. पूरे मास भगवान विष्णु स्वरूप की पूजा अर्चना होती हैं और इस माह में आकाश में तारों के बीच के रहते हुए स्नान करना, पीपल, बड, आबंला के पेड़ जैसे पवित्र वृक्षों में जल चढाना उत्तम माना जाता है. सौभाग्यवती महिलाएं एवं कन्याओं के लिए यह मास महत्वपूर्ण है. कहा जाता है की सुख, सौभाग्य, समृद्धि, संतान के लिए कार्तिक मास में स्नान एवं पूजा व्रत करना चाहिए. कार्तिक मास में दीप जलाने का भी महत्व है. बताया जाता है कि इस माह में प्रत्येक दिन मंदिर, गोशाला, तुलसी, रसोईघर एवं आंगन में दीप जलाने से एेश्वर्य व समृद्धि की प्राप्ति होती है. कार्तिक मास में भगवान विष्णु की पूजा व अर्चना दामोदर के रूप में होती है. इस मास में लक्ष्मी जी के लिए दीप जलाया जाता है. कार्तिक मास में तुलसी की पूजा की जाती है ओर तुलसी के पत्ते खाए जाते हैं. मान्यता है कि इससे शरीर निरोग रहता है. साथ ही ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर सूर्य देवता एवं तुलसी पौधे को जल चढ़ाना उत्तम माना जाता है.

कार्तिक मास में दिखती है ओस के बूंदों की अनुपम छटा

कार्तिक महीने में प्रकृति नए रूप-रंग एवं सुगंध से युक्त होता है. यह वह समय होता है, जब ठंड धीरे-धीरे बढ़ने लगती है और शीत ऋतु में प्रवेश कर रही होती है. सुबह खेतों में घास व फसलों पर ओस की बूंदों के रूप में प्रकृति के अनुपम मोती अपनी छटा बिखेरता है. सुबह-सुबह इन मोतियों को निहारने व इन पर नंगे पांव चलने से ना केवल नेत्र-ज्योति तेज होती है, बल्कि शारीरिक और मानसिक शक्ति भी बढ़ती है.

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