कोविड-19 के बंदिशों के बीच मां शारदे की पूजा आज
लाइव खगड़िया : मां सरस्वती को विद्या, बुद्धि, ज्ञान और वाणी की देवी माना जाता है. मां शारदा का मूल स्थान शशांकसदन अर्थात् अमृतमय प्रकाशपुंज है. मान्यता है कि यहीं से वे अपने उपासकों के लिए निरंतर पचास अक्षरों के रूप में ज्ञानामृत की धारा प्रवाहित करती हैं. उनका तेज दिव्य व अपरिमेय है. सृष्टिकाल में ईश्वर की इच्छा से अद्याशक्ति ने अपने को पांच भागों में बांट लिया था.वे राधा, पार्वती, सावित्री, दुर्गा और सरस्वती के रूप में भगवान श्रीकृष्ण के विभिन्न अंगों से प्रकट हुई थीं. उस समय श्रीकृष्ण के कंठ से उत्पन्न होने वाली देवी का नाम सरस्वती हुआ. ‘श्रीमदेवीभागवत’ और ‘श्रीदुर्गासप्तमी’ में भी अद्याशक्ति द्वारा अपने-आपको तीन भागों में विभक्त करने की जानकारी मिलती है. अद्याशक्ति के ये तीनों रूप महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती नाम से पूरी दुनिया में विख्यात है.
वेदों और पुराणों में भी सरस्वती पूजा का महत्व है. मां सरस्वती सत्वगुण संपन्न हैं. इनके अनेक नाम हैं. जिनमें से वाक्, वाणी, गी, गिरा, भाषा, शारदा, वाचा, श्रीश्वरी, वागीश्वरी, ब्राह्मी, गौ, सोमलता, वाग्देवी और वाग्देवता आदि अधिक प्रसिद्ध हैं. मां सरस्वती की महिमा और प्रभाव असीम है. अमित तेजस्विनी और अनंत गुणशालिनी देवी सरस्वती की पूजा एवं आराधना के लिए माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि निर्धारित है. इस वर्ष आज 5 फरवरी को बसंत पंचमी है. जिसको लेकर जिले भर में भक्तिमय माहौल है और मां शारदे की आराधना की जा रही है.
सरस्वती पूजा समिति को करना होगा कोविड दिशा निर्देशों का अनुपालन
मेला व प्रदर्शनी पर रहेगी रोक
प्रतिमा विसर्जन के रूट का करना होगा सत्यापन
विसर्जन जुलूस के लिए लेना होगा लाइसेंस
विसर्जन जुलूस में अधिकतम 15 लोगों हो सकेंगे शामिल
डीजे बजाने पर होगा पूर्ण प्रतिबंध
लाउडस्पीकर का प्रयोग के लिए लेना होगा प्रशासन से अनुमति
अश्लील गाना बजाने की होगी कार्रवाई
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार प्रतिमा का करना होगा विसर्जन
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