Breaking News

…और आखिरकार वक्त व हालात ने मिटा ही दी राजनीतिक दूरियां

लाइव खगड़िया (मनीष कुमार मनीष) : कहा जाता है कि वक्त व हालात बहुत कुछ बदल जाता है और बात यदि राजनीति की हो तो कब यह किस करवट बैठ जाये, यह कहना भी बहुत मुश्किल है. जिले के राजनीति के दो चर्चित हस्ती पूर्व विधायक रणवीर यादव एवं नगर परिषद के पूर्व सभापति मनोहर यादव की राजनीतिक अदावत किसी से छुपी नहीं थी. एक वो वक्त भी रहा था, जब जिले की राजनीति में दोनों दो ध्रुवों पर खड़ा रहा करते थे. सोशल साइट से लेकर राजनीतिक मैदान में उनके समर्थकों के बीच तीखी नोकझोंक जैसे आम बात हुआ करती थी. लेकिन राजनीतिक महत्वाकांक्षा लंबी से लंबी दूरी को भी कितनी आसानी से पाट जाता है, इसकी एक बानगी जिला परिषद अध्यक्ष के चुनाव में साफ-साफ दिख गई.





दरअसल नगर परिषद के पूर्व सभापति मनोहर कुमार यादव लंबे वक्त तक पप्पू यादव की पार्टी जाप से जुड़े रहे थे. जाप की टिकट पर ही उन्होंने खगड़िया विधानसभा क्षेत्र से विगत विधानसभा चुनाव सहित इसके पूर्व के चुनाव में भी अपनी किस्मत आजमाई थी. लेकिन गठबंधन के राजनीतिक दौड़ में पार्टी सुप्रीमो पप्पू यादव की एकला चलों की नीति से मनोहर यादव की राजनीतिक हसरतें अधूरी रह गई. इधर हाल के दिनों में मनोहर यादव ने जाप से नाता तोड़ कर राजद का दामन थाम लिया और जिसके साथ ही जिले की राजनीतिक तस्वीर भी बदल गई.

उधर चर्चित पूर्व विधायक रणवीर यादव एक पुराने मामले में जेल में हैं. विगत लोकसभा चुनाव में उनकी दूसरी पत्नी कृष्णा कुमारी यादव खगड़िया संसदीय क्षेत्र से राजद के टिकट की प्रबल दावेदार थीं. लेकिन अंतिम वक्त में यह सीट महागठबंधन के घटक दल वीआईपी कोटे में चली गई. इधर विगत विधानसभा चुनाव में रणवीर यादव की पहली पत्नी निवर्तमान विधायक पूनम देवी यादव भी जदयू से चुनाव हार गई. ऐसे में जिले की राजनीति में रणवीर यादव के साम्राज्य पर एक प्रश्न चिन्ह खड़ा होने लगा था. लेकिन राजनीति के चतुर व माहिर खिलाड़ी का मास्टर स्ट्रोक सामने आना अभी शेष था. सोमवार को संपन्न जिला परिषद अध्यक्ष के चुनाव में रणवीर यादव परिवार को मनोहर यादव व जदयू नेता अशोक सिंह का साथ मिला और कृष्णा कुमार यादव  एक बार फिर जिला परिषद अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज हुईं. गौरतलब है कि जदयू नेता अशोक सिंह की गिनती भी कभी पूर्व विधायक रणवीर यादव फैमिली के राजनीतिक विरोधी के तौर पर हुआ करती थी. लेकिन वक्त के साथ वो भी एक गैर राजनीतिक चुनाव में कृष्णा कुमारी के साथ खड़े दिखें. बदले राजनीतिक हालात के बीच अशोक सिंह की पुत्रवधू को भी उपाध्यक्ष की कुर्सी मिली. हलांकि राजनीति के इस अविश्वसनीय खेल का पटकथा पूर्व में ही लिखी जा चुकी थी. बहरहाल जिले के राजनीति के दो धुरंधरों का मिलन दलगत राजनीति को कितना प्रभावित करता है, यह तो वक्त ही बतायेगा.



Check Also

भाजपा नेताओं ने झोंकी ताकत, खगड़िया संसदीय सीट से चाहिए भाजपा उम्मीदवार

भाजपा नेताओं ने झोंकी ताकत, खगड़िया संसदीय सीट से चाहिए भाजपा उम्मीदवार

error: Content is protected !!