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खगड़िया निवासी IPS राजतिलक रौशन महाराष्ट्र पुलिस को पहुंचा रहे नित्य नये मुकाम पर

लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : पुलिस सर्विसेज एक ऐसी सेवा है जिसमें समाज के लिए कुछ कर दिखाने का मौका मिलता है.यदि जज्बे,जुनून व लगन हो तो वो पुलिस अधिकारी समाज के आंखों का तारा बन जाता है.जिले के बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि यहां की मिट्टी में पले व बढे एक आईपीएस अधिकारी महाराष्ट्र पुलिस की सफलताओं में ना सिर्फ नित्य नया अायाम जोड़ रहे हैं बल्कि महज कुछ ही वर्षों में वो वहां के पुलिस महकमें सहित आमजनों के आंखों का तारा भी बन बैठे है.जी हां…हम बात कर रहे हैं जिले के परबत्ता  प्रखंड के कुल्हरिया गांव निवासी डॉ. उपेन्द्र तिवारी के पुत्र आईपीएस राजतिलक रौशन की…जो महाराष्ट्र पुलिस को अपनी सेवाएं दे रहे हैं.आईपीएस राजतिलक रौशन ने छठी कक्षा तक अपनी प्रारंभिक शिक्षा कुल्हड़िया प्राथमिक विद्यालय से ही पूरी की थी.जबकि सातवीं परबत्ता के प्रतिभा विकास संस्थान से करने के उपरांत वो आगे की पढाई के लिए पटना के ज्ञान निकेतन चले गये.इंटर उन्होंने पटना के ही साइंस कॉलेज से किया.जिसके उपरांत उन्होंने आईआईटी खड़कपुर से B.Tech in E&ECE व M.Tech in Automation & Computer Vision किया.

IPS अधिकारी राजतिलक रौशन

महाराष्ट्र कैडर के 2013 बैच के तेज तर्रार व युवा आईपीएस अधिकारी राजतिलक रौशन बहरहाल महाराष्ट्र में उदास चहरों पर मुस्कान लौटा रहे हैं.अपनी कार्य कुशलता व लगन के बल पर वहां वो उस मुकाम पर पहुंच चुके हैं जहां उनकी पहचान एक ऐसे जाबांज युवा पुलिस अधिकारी के तौर पर बन गई जिनका दिल अवाम के लिए ही धड़कता है और जो जनता की मुश्किलों को दूर कर उनके चेहरे पर मुस्कान लाने की चाहत रखते हैं.इतना ही नहीं उन्होंने कुछ बेहद ही पेचीदा मामले को भी सुलझाकर महाराष्ट्र पुलिस के इतिहास के कुछ बेहतरीन तहकीकातों में अपना नाम भी शुमार करा लिया है.आमतौर पर यदि किसी केस की फाइल बंद कर दी जाए तो माना जाता है कि अब उसमें आगे कुछ नही हो सकता है.लेकिन आईपीएस अधिकारी राजतिलक रौशन ने ऐसे ही कुछ फाइलों में से हत्याकांड जैसे बेहद ही गंभीर व जटील एक मामले को अपने हाथों में लेकर कातिलों की पहचान कर उसे हवालात की हवा खिलाने में सफल रहे हैं.दरअसल उस्मानाबाद में पोस्टिंग के दौरान वो एक बार वहां के अनसुलझे केसो की फाइलें पलट रहे थे.इसी क्रम में उनकी नजर पूणे के एक लड़की की हत्याकांड मामले पर गई और उन्होंने मामले की खुद जांच करने का फैसला कर लिया.आखिरकार उन्होंने अलग-अलग ई-कॉमर्स साइट्स को ई-मेल भेजकर 18,000 जयपुरी कुर्ठियों में से कातिलों को ढूंढ निकाला.जिसे महाराष्ट्र पुलिस इतिहास की सबसे बेहतरीन तहकीकातों में से एक माना गया है.कुछ ऐसे ही कार्यों व अहम उपलब्धियों की वजह से अनसुलझे,मिसिंग व किडनैपिंग जैसे केसो में काफी दिलचस्पी रखने वाले आईपीएस अधिकारी राज तिलक रौशन महाराष्ट्र में सुर्खियों में बने रहें है.दर्जनों मिसिंग मामलों में उन्होंने बिछुड़े को परिवार से मिलाकर उनकी जिन्दगी में खुशियां वापस किया है.वसई में अडशिनल एसपी के अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अपराधियो पर नकेल कसने के साथ ही सामाजिक कार्यो में हिस्सा लेकर वहां के लोगों का दिल जीत लिया था.पालघट जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के कार्यकाल के दौरान जब उन्हें पता चला कि जिले में अधिकांश बच्चें गुम हो जाने के मामले सामने आ रहे हैं तो उन्होंने फौरन गुमशुदा हुए बच्चों की जांच अभियान चलाया.लापता बच्चों को तलाशने के लिए उन्होंने 6 अधिकारियों की एक टीम गठित किया और महज एक माह के अंदर लापता 94 प्रतिशत बच्चों को उनके घर वापस पहुंचा दिया.खगड़िया के लाल आईपीएस अधिकारी राजतिलक रौशन महाराष्ट्र में सिर्फ प्रशासनिक ही नहीं बल्कि सामाजिक जिम्मेदारियों का भी बखुबी निर्वहन कर रहे हैं.इस क्रम में उन्होंने एनजीओ के साथ मिलकर 12 से 18 साल की स्कूल व कॉलेज जाने वाली छात्राओं के बीच यौन शोषण के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाया.जिसके कहत करीब 42 हजार से अधिक छात्राओं को जागरुक किया गया.साथ ही वे मानव तस्करी के खिलाफ भी जंग का बिगुल फूंक चुके हैं.इस क्रम में पीटा कानून के तहत कार्रवाई कर उन्होंने दर्जनों लड़कियों को देह व्यापार सौदागरों के चंगुल से मुक्त कराया.साथ ही वे आरटीआई का प्रयोग कर उगाही करने वाले कुछ राजनेता,पत्रकारों और वकीलों के गठजोड़ कर भंडाफोड़ कर महाराष्ट्र में सनसनी फैला दी थी.बहरहाल आईपीएस अधिकारी राज तिलक रौशन महाराष्ट्र के नागपुर में डीसीपी के पद पर कार्यरत है और महाराष्ट्र पुलिस में अपनी एक अलग पहचान कायम करते हुए वहां के लोगों के दिलों पर राज कर रहे हैं.उनके विषय में एक रोचक तथ्य यह भी रहा है कि उन्हें साहित्य से भी प्रेम है और वो एक अच्छे कवि व कहानीकार भी हैं.साथ ही वो हिन्दी व अंग्रेजी में कई लघु कथा और कवितायें भी लिखीं हैं.उनके द्वारा रचित कुछ कविताओं के बीच हम अपने पाठकों को छोड़ रहे हैं.एक नजर उनकी दो कविताओं पर भी…

“अब और नहीं बंजारापन”

इस बार ठहर जाता हूं,कहीं दूर नही जाता हूं

अब यहीं वक्त नापूंगा,अब यहीं रक्त बांटूंगा,

समझ-समझ इस हवा को,परख-परख इस घटा को

कुछ ये मुझमें मिल जाएं,कुछ मैं इनमें मिल जाऊं,

पहली बार की रिमझिम फुहार,यहीं से अब झाकूंगा नहीं

पतझर में ढलता सूरज देखूगा,सर्दी में यहीं ठिठरूंगा,

अब और नहीं बंजारपन,इस बार ठहर जाता हूं

कहीं दूर नही जाता हूं,कहीं दूर नहीं जाता हूं….

“ये मंज़िलें अनंत हैं

ना शुरुआत है ना अंत है,ये ज़िन्दगी अनंत है

कभी सरल कभी कठिन,हैं पथ यहां पर अनगिनत,

नहीं है उनका अंत,ये पथ यहां अनंत  हैं

ना रुको तुम ना मुड़ो,बढे चलो तुम इन पथों पर,

मंज़िलों का ना कोई अंत,ये मंज़िलें अनंत हैं

क्या सही है क्या गलत,तुम चुन सको तो अपने पथों को,

भटकाव का न साथ दो,मिराज को ना भाव दो

मंज़िलों पे हो नज़र,ना वक़्त की भी हो खबर,

हो दूरदृष्टी इन पथों पर,संसार से हो बेखबर

नयी मंज़िलों की तलाश हो,ना बुझ सके वो प्यास हो,

कभी मिलें कभी नहीं,ना फिर भी दिल उदास हो

हो स्वाबलम्ब की कमान,एकाग्रता का बाण हो,

धैर्य का हो एक धनुष,विजय का अट्टाहास हो

जो चल पड़ें तो ना रुकें,ना पथ हो तो हमसे बनें,

मैं उन मंज़िलों का राज हूं,जो ठान लें तो हमसे मिलें,

ये मंजिले अनंत हैं.ये मंजिलें अनंत हैं…

मराठी भाषा पर भी है आईपीएस राजतिलक रौशन की अच्छी पकड़,सुन लें :

 

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