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दिव्य रूद्रमहायज्ञ में स्वामी रामनरेशाचार्य जी महाराज देंगे आशीर्वचन



लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : जिले के परबत्ता प्रखंड के नयागांव शिरोमणी टोला में पांच दिवसीय दिव्य रूद्रमहायज्ञ की तैयारी जोरों पर है. नयागांव शिरोमणी टोला स्थित अष्टभुजी दुर्गा मंदिर के प्रांगण में 24  फरवरी से 28 फरवरी तक होने वाले पांच दिवसीय रुद्र महायज्ञ तथा शिवलिंग व हनुमत लाल सरकार प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन को लेकर तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है. इस यज्ञ में अपने मंगलम आशीर्वचन देने के लिए श्रीमठ काशी के जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामनरेशाचार्य जी महाराज तथा वाराणसी के पंडित यज्ञाचार्य वेदमूर्ति भालचंद्र बादल पहुंच रहे है.

स्थानीय निवासी राहुल कुमार व मिथिलेश कुमार ने बताया कि आयोजन 24 फरवरी से प्रारंभ होगी जिसके प्रथम दिन प्रायश्चित सविधिमंडप पूजन, द्वितीय रोज 25 फरवरी को मंडप पूजन एवं रुद्र हवन, तृतीय रोज 26 फरवरी को मंडप पूजन, रुद्रहवन एवं अन्नाधिवास, चतुर्थ रोज 27 फरवरी को शिखर स्थान, नगर भ्रमण (देवताओं का) एवं पंचम रोज 28 फरवरी को प्राण प्रतिष्ठा प्रातः 7 बजे से 8 बजकर 30 मिनट के बीच होगी. जिसमें कि सर्वप्रथम शिरोमणि ढाला स्थित श्री हनुमतलाल सरकार का प्राण प्रतिष्ठा होगा. तत्पश्चात अष्टभुजी दुर्गा मंदिर के प्रांगण में स्थित शिवमंदिर में शिवलिंग स्थापित की जाएगी. आयोजन में प्रतिदिन संध्या 5 बजे से रात्रि के 8 बजे तक श्रद्धालुओं को आशीर्वचन काशी मठ के जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामनरेशाचार्य जी  देगें. कार्यक्रम के लिए भव्य धर्म मंच एवं यज्ञ पूजन के लिए यज्ञशाला का निर्माण किया गया है . पंचदिवसीय रूद्रमहायज्ञ आयोजन में श्री दुर्गा महोत्सव समिति नयागांव शिरोमणी टोला के सदस्य सक्रिय है.




 कौन हैं स्वामी रामनरेशाचार्य जी महाराज

स्वामी रामनरेशाचार्य जी महाराज स्वामीजी सगुण एवं निर्गुण रामभक्ति परंपरा और रामानंद सम्प्रदाय के मूल आचार्यपीठ-श्रीमठ, काशी के वर्तमान पीठाधीश्वर हैं. स्वामीजी वेद-पुराणों के मर्मज्ञ हैं और छह दर्शनशास्त्रों में इन्होंने सर्वोच्च उपाधियां अर्जित की है. इन्हें देश में न्यायशास्त्र का आधिकारिक विद्वान माना जाता है.

स्वामी रामानंदाचार्य पद पर प्रतिष्ठित होने से पहले इन्होंने हरिद्वार के उस कैलास आश्रम में वर्षों तक अध्यापन का कार्य किया, जिसे संस्कृत विद्वानों की पाठशाला कहा जाता है.  इनके पढ़ाये हुए अनेक लोग देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में संस्कृत के प्राध्यापक हैं और कई लोग मठ-मंदिरों में प्रधान की हैसियत से देश-धर्म की सेवा में संलग्न हैं. अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए स्वामीजी ने देशभर में पद यात्राएं की और आंदोलन के अगुवा संतों में रहे है.



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