लाइव खगड़िया : जिला जदयू के अंदर सुलग रही आक्रोश की चिंगारी किसी भी दिन शोला बनकर सतह पर आ सकता है. राजनीतिक सूत्रों पर यदि विश्वास करें तो जदयू के कई स्थानीय नेता पार्टी से इस्तीफा देकर जिले की राजनीति में एक बड़ी हलचल पैदा कर सकते हैं. सूत्र तो यहां तक बता रहे हैं कि हाल के दिनों में पार्टी के फैसले से आहत कई नेता व कार्यकर्ता सामूहिक इस्तीफा देने का दिन भी तय कर लिया है. यदि इसमें सच्चाई है तो निश्चय ही इसका प्रभाव आगामी विधान सभा चुनाव में स्थानीय सीटों पर भी दिखाई दे सकता है.
दरअसल जिला जदयू के वर्तमान हालात की नींव हाल ही में संपन्न जदयू के संगाठनिक चुनाव के दौरान ही पड़ गई थी. 11 सितंबर को जिलाध्यक्ष सहित अन्य पदों के लिए मतदान होना था. लेकिन मतदान के एक दिन पूर्व 10 सितंबर की रात्रि में राज्य चुनाव पदाधिकारी ने जिला निर्वाचन पदाधिकारी को अपरिहार्य कारणों का हवाला देते हुए चुनाव स्थगित करने का निर्देश दिया था. बताया जाता है इस संदर्भ में राज्य चुनाव पदाधिकारी द्वारा WhatsApp के माध्यम से भेजे गये पत्र को जिला निर्वाचन पदाधिकारी नोटिस नहीं कर पाये और वे तय समय पर लोकतांत्रिक ढंग से चुनाव की प्रक्रिया संपन्न करा गये. हलांकि बाद के दिनों में उन्हें इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा और पार्टी के निर्देशों का पालन नहीं करने के आरोप में जिला चुनाव पदाधिकारी को जदयू से निष्कासित कर दिया गया था. रही सही कसर जदयू के शीर्ष नेतृत्व ने लोकतांत्रिक ढंग से चयनित जिलाध्यक्ष को दरकिनार कर संगाठनिक चुनाव में शिकस्त खाये उम्मीदवार के सिर पर जिलाध्यक्ष की ताज रख कर पूरी कर दी. उल्लेखनीय है कि चुनाव में कुल 74 मतदाताओं ने भाग लिया था. जिसमें से 69 मत एक ही उम्मीदवार के नाम रहा था. आरोप तो यहां तक लगाया जा रहा है कि चुनाव में एक उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करने वाले जदयू कार्यकर्ताओं की भावनाओं को भी आहत करने की कोशिश हो रही है. उल्लेखनीय है कि मंगलवार को जदयू के बेलदौर प्रखंड अध्यक्ष अनिल सिंह ने अपने पद से त्याग-पत्र दे दिया था. हलांकि उन्होंने इसके पीछे अपनी निजी व्यस्तता का जिक्र किया है, लेकिन राजनीतिक गलियारे में कुछ और भी चर्चाएं है. बहरहाल जिला जदयू की आंतरिक गुटबाजी आने वाले दिनों में पार्टी को किस मोड़ पर छोड़ती है, यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा.
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