लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : विधानसभा चुनाव को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रत्याशिों के द्वारा जनसंपर्क अभियान तेज कर दिया गया है. जिले के राजनीतिक -सामाजिक क्षेत्र में परबत्ता विधानसभा क्षेत्र का एक अलग ही महत्व रहा है .यहां के विधायक मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक बने हैं. जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री सतीश प्रसाद सिंह सहित पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद, सम्राट चौधरी, रामानंद प्रसाद सिंह का नाम शामिल हैं. परबत्ता विधानसभा क्षेत्र तीन तरफ से गंगा नदी से घिरा है. जिससे यह क्षेत्र खेती, पशुपालन तथा मछली उत्पादन के लिये एक उपयुक्त क्षेत्र बन जाता है. दुग्ध उत्पादन में खगड़िया को बिहार का डेनमार्क बनाने में परबत्ता क्षेत्र का भी अहम योगदान है. यहाँ दुग्ध उत्पादन के लिये गाय का पालन घर घर में होता है. स्वतंत्रता संग्राम में इस क्षेत्र की अहम भूमिका रही है. यही कारण है कि पुराने मुँगेर जिले के स्वतंत्रता सेनानियों में अधिकांश इस इलाके से थे. चरखा और हस्तकरघा इस इलाके में घर-घर में प्रचलित था. जिसके निशान अब भी गांव-गांव में दिखता है. दर्शनीय स्थल की भरमार वाले इस इलाके में ‘बाबन कोठरी तिरपन द्वार’ के नाम से भरतखंड में राजा बैरम सिंह का महल एवं दर्जनो मंदिर इस इलाके को पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाता है.
उत्तरवाहिनी गंगा नदी का तट श्रद्धालुओं के लिये एक पवित्र स्थान माना जाता है. जहाँ सावन, माघी पूर्णिमा तथा कर्तिक माह में स्नान को पवित्र माने जाने के कारण काफी महत्व रखता है . शिक्षा जगत में काफी पहले से यह इलाका आगे है. सभी पंचायतों में उच्च विद्यालय तथा सभी गांवों में मध्य विद्यालय है. इस क्षेत्र में तीन महाविद्यालय तथा दो दर्जन इंटर विद्यालय है. जिले के चार विधानसभा क्षेत्र में परबत्ता विधानसभा में सबसे अधिक मतदाता भी है. परबत्ता विधानसभा में 2 लाख 99 हजार 5 सौ 37 मतदाता हैं. जिसमें 159532 पुरुष मतदाता व 140000 महिला मतदाता एवं तीन सौ मतदान केन्द्र है. जबकि इस विधानसभा में दो प्रखंड गोगरी एवं परबत्ता है. दोनो प्रख़ड में कुल 36 पंचायत एवं एक नगर पंचायत शामिल हैं. जिले में 3 नवम्बर को मतदान होना है. परबत्ता विधानसभा क्षेत्र में 300 मूल बूथ एवं 144 सहायक बूथ पर मतदाता मताधिकार का प्रयोग करेंगे.
ढाई दशकों से राजनीति में हैं रामानंद प्रसाद सिंह, आठ बार लड़े चुनाव व पांच में मिली जीत
परबत्ता विधानसभा क्षेत्र के निवर्तमान विधायक रामानंद प्रसाद सिंह बिहार राज्य विद्युत बोर्ड में सुप्रीटेंडिंग इंजीनियर के पद से त्यागपत्र देकर 1995 में राजनीति में आये और तब से अबतक हुए चुनावों में वे उतरते रहे हैं. इस दौरान वे आठ बार चुनाव लड़े. जिसमें पांच बार विजयी रहे और तीन बार पराजित हुए. इस पांच बार जीत में तीन कार्यकाल अल्पकालिक रहा तथा विधायक का कुल कार्यकाल 12 वर्षों का ही रहा. वर्ष 1995 में रामानंद प्रसाद सिंह उर्फ आर एन सिंह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और तीसरे स्थान पर रहे थे. वर्ष 2000 में उन्हें दल से टिकट नहीं मिलने पर वे निर्दलीय ही चुनाव मैदान में उतरे और दूसरे स्थान पर रहे. वर्ष 2004 में उम्र विवाद में विधायक सम्राट चौधरी की विस सदस्यता समाप्त हो गयी और उसके बाद हुए उपचुनाव में आर एन सिंह ने जदयू री टिकट से जीत अर्जित किया. यह कार्यकाल एक वर्ष का था. उन्होंने 2005 के फरवरी तथा अक्टूबर में हुए चुनावों में लगातार जीत दर्ज की. लेकिन 2010 के चुनाव में वे फिर सम्राट चौधरी से हार गये. वर्ष 2014 में सम्राट चौधरी ने राजद तथा विस सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और अगस्त 2014 में उपचुनाव हुए. जिसमें आर एन सिंह ने फिर एक बार जीत का परचम फहराया. पुनः नवम्बर 2015 के विधानसभा में उन्हें जीत मिली.
क्या हैं मुद्दे !
परबत्ता विधानसभा क्षेत्र में केला की उपज सबसे अधिक होती है, लेकिन केला आधारित किसी तरह का उद्योग नहीं लगा है. क्षेत्र में शिक्षा की स्थिति सामान्य है. केडीएस कॉलेज गोगरी, केएमडी कॉलेज परबत्ता में संसाधन एवं शिक्षक की संख्या बहुत कम है. छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रहा है. जबकि बिजली, सड़क, गंगा नदी पर पुल जैसे मुद्दों को सुलझा लिया गया है. लेकिन चरखा और हस्तकरघा को बढ़ावा के लिए कोई भी कार्य नही किया गया.
क्या हैं उपलब्धियां !
परबत्ता विधानसभा क्षेत्र में एक सुपर ग्रीड, तीन पॉवर सबस्टेशन का निर्माण होकर उसे चालू किया जा चुका है. जबकि एक का निर्माण कार्य जारी है. जो किसानों के लिए वरदान साबित होगा. नव निर्मित अत्याधुनिक प्रखंड कार्यालय भवन में कार्य चालू है. गंगा नदी पर अगुवानी- सुल्तानगंज के बीच फोर लेन पुल के निर्माण चल रहा है. अमूमन सभी गांवों को पक्की सड़क से जोड़ा जा चुका है . दियारा जाने के लिए दर्जनो पुल-पुलिया का निर्माण किया जा चुका है। आईटीआई कॉलेज, पॉलटेकनिक कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज भवन का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है.
क्या है जातीय एवं सामाजिक समीकरण !
परबत्ता विधानसभा क्षेत्र में भुमिहार, यादव, कुशवाहा, मुसलमान, चौरसिया जाति के लोग क्रमश: बहुसंख्यक वोटर हैं.
कब किसने मारी बाजी !
परंपरागत रूप से इस विधानसभा क्षेत्र पर 1990 तक कां ग्रेस तथा सोसलिस्टों का कब्जा रहा था. 1977 में जनता पार्टी के प्रत्याशी ने इस क्रम को तोड़ा था. लेकिन 1990 से लेकर वर्तमान तक राजद तथा जदयू के प्रत्याशी ही जीत का पताका फहराते आ रहे हैं.
1952-त्रिवेणी कुँवर(सोसलिस्ट)
1953(उपचुनाव)-त्रिवेणीकुँवर(सोसलिस्ट)
1957-लक्ष्मी देवी(कॉग्रेस)
1962- लक्ष्मी देवी(कॉग्रेस)
1964-(उपचुनाव)-सुरेशचन्द्र मिश्र(कॉग्रेस)
1967-सतीश प्रसाद सिंह(सोसलिस्ट)
1969-जगदम्ब प्रसाद मंडल(कॉग्रेस)
1972-शिवाकांत मिश्र(कॉग्रेस)
1977-नईम अख्तर(जनता पार्टी)
1980-रामचन्द्र मिश्र(कॉग्रेस)
1985-रामचन्द्र मिश्र(कॉग्रेस)
1990-विद्यासागर निषाद(जनता दल)
1995-विद्यासागर निषाद(जनता दल)
2000-सम्राट चौधरी(राजद)
2004-(उपचुनाव)-रामानंद प्रसाद सिंह(जद यू)
2005-फरवरी-रामानंद प्रसाद सिंह(जद यू)
2005-अक्टूबर- रामानंद प्रसाद सिंह(जदयू)
2010-सम्राट चौधरी(राजद)
2014-अगस्त(उपचुनाव)-रामानंद प्रसाद सिंह (जद यू)
2015- नवम्बर रामानंद प्रसाद सिंह ( जद यू )
राजनीतिक हलचल
डॉ संजीव कुमार विगत एक दशक से अपने पिता निवर्तमान विधायक आर एन सिंह के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे है. फिलहाल इस चुनाव में वे राजग समर्थित जदयू के उम्मीदवार हैं. वे युवाओं के बीच खासा लोकप्रिय मानें जाते हैं. पेशे से डॉक्टर हैं और परबत्ता से लेकर पटना तक लोगो की सेवा करने को ही अपना धर्म बताते है. उधर महागठबंधन से राजद उम्मीदवार दिगंबर प्रसाद तिवारी चुनावी मैदान में हैं और वे रोजगार जैसे मुद्दे को लेकर चुनाव मैदान ताल ठोक रहे हैं. जबकि लोजपा उम्मीदवार के तौर पर बाबूलाल शौर्य के भी मैदान में कूदने से मुकाबला रोचक हो गया हैं. बहरहाल परबत्ता विधानसभा क्षेत्र से इस बार 15 उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपनी-अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
1.अंगद कुमार कुशवाहा ( राष्ट्रीय लोक समता पार्टी)
2.आदित्य कुमार शौर्य (लोजपा)
3.दिगंबर प्रसाद तिवारी (राजद)
4.डॉ संजीव कुमार (जदयू)
5.नवीन कुमार (जाप, लो.)
6.रत्न प्रिया (प्लूरल्स)
7.संजीव कुमार (राष्ट्रीय जन विकास पार्टी)
8.साहब उद्दीन (राष्ट्रीय महान गणतंत्र पार्टी)
9.सिकंदर शर्मा (लोग जन पार्टी, से.)
10.सुधीर यादव (अंगिका समाज पार्टी)
11.ईश्वर शरण श्रीवास्तव (निर्दलीय)
12.चंदन कुमार उर्फ सोनू कुमार (निर्दलीय)
13.प्रियदर्शी दिनकर (निर्दलीय)
14.बाबूलाल शर्मा (निर्दलीय)
15.मिथलेश कुमार दास (निर्दलीय)