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त्यागी के त्याग व संघर्ष को महज राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जा सकता




लाइव खगड़िया : भौतिक सुख त्याग कर समाज की समस्याओं को लेकर संघर्ष की बात आती है तो चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता नागेन्द्र सिंह त्यागी का नाम जिले में कद्र से लिया जाता है. हलांकि वो जाप सुप्रीमो पप्पू यादव के संगठन युवा शक्ति के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. लेकिन सामाजिक गतिविधियों की वजह से विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के द्वारा भी उन्हें एक अलग सम्मान दिया जाता रहा है.




जब कभी किसी सामाजिक समस्याओं का राजनीतिक या प्रशासनिक रूप से उपेक्षा होती रही हो, किसी लावारिस लाश की ससम्मान अंत्येष्टि की बात आती हो, छात्र व युवाओं की समस्या हो या फिर पुल व सड़क निर्माण को लेकर संघर्ष की बात हो तो आमजनों की नजरें नागेन्द्र सिंह त्यागी पर ही जाकर अटकती है. विभिन्न समस्याओं को लेकर आंदोलन व अनशन का उनके नाम एक अलग ही रिकॉर्ड रहा है. साथ ही सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ उनका जंग जारी रहा है.




लेकिन यह भी एक सच्चाई रही है कि जब कभी उन्होंने अपने सामाजिक कार्यों के बल पर चुनावी राजनीति में अपनी किस्मत आजमाने की कोशिश की है तो जाति व पार्टी में बंटे समाज के लोगों से उन्हें बेवफाई ही मिली है. वर्ष 2015 के चुनाव में उन्होंने जिले के बेलदौर विधान सभा क्षेत्र से जाप उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतर कर मतदाताओं को एक विकल्प दिया था. लेकिन उन्हें 4135 मतों से संतोष करना पड़ा था. लेकिन चुनाव का वो परिदृश्य भी समाज के लिए कुछ कर गुजरने के उनके जज्बे को कम नहीं कर सकी और फिर से वे लोगों के सुख-दु:ख में शरीक होते हुए अपने संघर्ष की राह पर उसी जोश के साथ निकल पड़े और यह सिलसिला वर्ष दर वर्ष जारी है. भले ही आज राजनीति को समाज सेवा कहा जाता हो लेकिन यह भी एक सचाई है कि एक समाज सेवक के लिए आज के चुनावी राजनीति में राह निकाल पाना इतना आसान भी नहीं दिखता है. लेकिन बात जब महज समाज सेवा व सामाजिक कार्यकर्ता की हो तो नागेन्द्र सिंह त्यागी को किसी राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जा सकता है.


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